Thursday

मृदुल जोशी और उनकी कविता माँ मुझे आने दे !

                     मृदुल जोशी और उनकी कविता माँ मुझे आने दे !


लेखिका परिचय- मृदुल जोशी का जन्म सन् 1960 में उत्तराखंड में हुआ था । इनकी रचनाओं का विषय नारी चेतना है।इनकी मुख्य रचनाएं हैं –गुम हो गए अर्थ की तलाश में और समकालीन हिन्दी काव्य में आम आदमी आदि है । 

                            शब्दार्थ

1. आँगन – front door

2. सन्नाटा- silence

3. पसरा – prolong

4. सिलवट – घुमाना fold

5. झिल मिलाना – रह रह कर चमकना shine (twinkling)

6. किलक – किलकारी out cry , a sound of joy

7. ठुमक – ठसक भरी हुई चाल the act of walking in a grace manner

8. बिखरना – तितर बितर होना to be dispersed

9. उद्दंडता – अखड़पन arrogance

10. सदी – शताब्दी century


                    अर्थग्राहता – प्रतिक्रिया

(अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. ‘माँ मुझे आने दे’ कविता आपको कैसी लगी और क्यों ?

उत्तर-माँ मुझे आने दे!” कविता मुझे बहुत अच्छी लगी। क्योंकि इस कविता में एक अनदेखी बिटिया अपनी माँ को बताती है की जन्म लेने के बाद वह क्या -क्या करेगी ।


2. ‘भ्रूण हत्या एक सामाजिक अपराध है’। क्या भ्रूण हत्या का दहेज प्रथा से संबंध है ? विषय पर चर्चा कीजिए ।

उत्तर- स्त्री के गर्भ में बेटियों को मारना भ्रूण हत्या कहलाती है । यह भ्रूण हत्या समाजिक मानवीय अपराध है । बदलते विचार अनेक समाजिक विषमताओं के कारण आज समाज में भ्रूण हत्याएं अधिक दिखाई दे रही हैं । ऐसी हत्याएं सम्पन्न होने में दहेज प्रथा का भी प्रमुख स्थान है । बेटी के विवाह के समय वर को दी जाने वाली धन वस्तु दहेज कहलाती है ।


(आ) पाठ पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. इस कविता की कवयित्री क्या कहना चाहती हैं ?

उत्तर- इस कविता में कवयित्री भ्रूण हत्याओं को रोकना तथा समाज निर्माण में स्त्री का महत्व को बताना चाहती है ।


2. माँ के लिए बेटी क्या क्या करना चाहती है ?

उत्तर- माँ के लिए बेटी घर का सन्नाटा दूर करना तथा अपनी माँ ले कष्टों को दूर कर घर को रोशनी में चमकाना चाहती है ।


अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता  

(अ) माँ मुझे आने दे कविता समाज की किस स्थिति के बारे में बताती है ? लिखिए ।

उत्तर- माँ मुझे आने दे कविता में समाज में स्त्री के प्रति हो रहे अन्याय के बारे में बताया गया है ।


(आ) “भ्रूणहत्या एक समाजिक, मानवीय अपराध है”। अपने विचार लिखिए ।

उत्तर- “भ्रूणहत्या एक समाजिक, मानवीय अपराध है”। क्योंकि समाज में स्त्री और पुरुष का समान महत्व है ।ऐसे ममतामयी बेटी को आने न देना महापाप है जो माफी योग्य नहीं है ।


(इ) इस विषय पर किसी महिला का साक्षात्कार लेने के लिए एक प्रश्नावली तैयार कीजिए ।

उत्तर-1. क्या आप बेटी को चाहती है ?

   2. आप बेटी को क्यों नहीं चाहती  ?

   3. समाज निर्माण में क्या आप बेटी और बेटे को समान महत्व देती है ?

   4. क्या आप भ्रूण हत्याओं का समर्थन करती हैं ?

   5. आप भ्रूण हत्याओं को रोकने का क्या सुझाव देंगी ?

 

(ई) समाज के निर्माण में स्त्री और पुरुष दोनों का समान महत्व है । इस पर अपने विचार लिखिए ।

उत्तर- समाज में स्त्री और पुरुष का समान महत्त्व है । समाज में शक्ति के दो रूप हैं । दोनों में स्त्री की तुलना देवी से की गई है । ऐसा कहा जाता है कि जहां नारी होती है वहाँ देवता बसते है । नारी के बिना समाज की कल्पना असंभव है । समाज निर्माण व विकास में दोनों का समान महत्व है ।

 

                           भाषा की बात

(अ) कोष्ठक में दी गई सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए ।

1. खुशबू , समुंदर , दंभ (पर्यायवाची शब्द लिखिए।)

खुशबू- सुगंध, महक, सुरभि ।

समुंदर- समुद्र, सागर, रत्नाकर

दंभ- गर्व, घमंड, अहंकार, अकड़

 

2. सदी, मोती, किस्सा (वचन बदलिए।)

सदी – सदियाँ

मोती- मोती

किस्सा- किस्से

(आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

1. मोती-सीपी (विग्रह कर समास पहचानिए।)

मोती और सीपी द्वंद्व समास


 2. उद्दंडता, विशेषता, कोमलता, मधुरता (ता प्रत्यय का प्रयोग समझिए । तीन और शब्द बनाइए ।

उत्तर- मानवता , सरलता कोमलता ।


(इ) कविता से तीन भाववाचक संज्ञा शब्द ढूंढकर लिखिए ।

उत्तर- मानवता, उद्दंडता, कोमलता।


(ई) रुखीला, अकड़ीला जैसे शब्दों में “ईला” प्रत्यय है । इसी तरह के दो शब्द लिखिए ।

उत्तर- चटकीला, चमकीला ।

Tuesday

प्रेमचंद और उनकी कहानी ईदगाह

                                     प्रेमचंद और उनकी कहानी ईदगाह 

कवि परिचय

            प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 काशी में लमही नामक गाँव में हुआ था । इनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था । इन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियों की रचना की । इनकी कहानियाँ मानसरोवर नामक आठ खंडों में संकलित है । गोदान,गबन, निर्मल ,सेवसादन, कर्मभूमि, प्रतिज्ञा आदि इनके प्रमुख उपन्यास है ।इनकी प्रमुख कहानियों में कफन, पूस की रात और पंच परमेश्वर शामिल है । इनका निधन सन् 1936 में हुआ ।

शब्दार्थ

1.रोजा – बिना कुछ खाए रहना fasting

2.ईदगाह – place of assembly for offering Eid -prayers

3. सुहावना -charming pleasant

4. रौनक – शोभा gaiety, splendour ,brightness

5. बिगुल -तुरही के ढंग का बाजा bugle

6. हैजा -एक तरह की बिमारी cholera

6. गोदी -आँचल lap

7. कचोट -चुभना to tease

8. छाले -फकोले blisters

9. ख्याल -विचार thought

10. अभागिन -बदनशीब  unfortunate

11. दाना -grain

12. भड़कीला -डरना showy

13. दिल बैठ जाना -चुप हो जाना the heart to be sinking

14. शान -इज्जत pomp, grandeur

15. चौंकना – to be startled , to be alarmed

 

अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया

(अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

1. ‘ईदगाह’ कहानी के रचनाकार कौन हैं ?इनकी रचनाओं की विशेषता क्या हैं?

उत्तर-‘ईदगाह’ कहानी के रचनाकार प्रेमचंद हैं । आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इनकी रचनाओं में खासकर भारत के ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण दिखायी पड़ता है। इनकी कला में कृत्रिमता नहीं है ।

2. बालक प्रायः अलग-अलग स्वभाव के होते हैं । कहानी के आधार पर बताइए की हामिद का स्वभाव कैसा है?

उत्तर- बालक प्राय: विभिन्न स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर हामिद का स्वभाव एक दम अच्छा और उत्तम था। अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचना और जो मिले, उसी में संतुष्ट रहने का महान स्वभाव वाला बालक हामिद था ।

(आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए ।

1. हामिद के पास पचास पैसे थे ।   (नहीं)

2. अमीना हामिद की मौसी थे ।    (नहीं)

3. मोहसिन भिश्ती खरीदता है ।     (हाँ)

4. हामिद खिलौने खरीदता है ।     (नहीं)

(इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।

1. अमीना का क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया ।

2. कीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया ।

3. हामिद चिमटा लाया ।

4. महमूद के पास बारह पैसे थे ।

अभिव्यक्ति -सृजनात्मकता

(अ) हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों ?

उत्तर- यदि हम हामिद के स्थान पर होते और मेले में जाते तो कोई ऐसी वस्तु खरीदते जो उपयोगी होती। हामिद ने चिमटा खरीदा था। हम भी ऐसी ही वस्तु खरीदते।

(आ) ‘ईदगाह’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर- कहानी “ईदगाह” कहानी का आरम्भ ईदगाह के मेले में जाने की तैयारी के साथ शुरू होता है। ईदगाह का मेला एक माह के रोजे के बाद आया है जिसमें जाने के लिए सभी तैयारी कर रहे हैं। उन सब में चार साल का हामिद भी है जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। कहानी के अनुसार हामिद के माता-पिता का हाल ही में देहांत हुआ है। दादी अमीना बहुत गरीब हैं, लेकिन वह हामिद को बड़े ही प्यार से पालती हैं। ईदगाह के मेले में हामिद भी जाना चाहता है, लेकिन दादी के पास पैसे नहीं हैं। लेकिन अंत में दादी हामिद को थोड़े ही पैसे देकर ईदगाह भेज देती हैं। ईदगाह में हामिद को बहुत रंग-बिरंगे खिलौने, मिठाइयाँ और नए कपड़े पसंद आते हैं लेकिन उसके पास खरीदने के लिए इतने पैसे नहीं हैं। फिर वह सोचता है कि वह अपनी दादी के लिए कुछ खरीदेगा। ऐसे में हामिद मेले से एक चिमटा खरीदता है और दादी को दे देता है। दादी चिमटा देखकर खुश हो जाती हैं और हामिद को गले लगा लेती हैं।

(इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुई बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए ।

उत्तर- हामिद और उसके दोस्त मोहसिन, महमूद और सम्मी सब मिलकर ईदगाह जाते हैं। वहाँ मेले में वे कुछ चीजें खरीदते हैं और आपस में इस प्रकार संवाद करने लगते हैं। (खिलौनों की दुकानों के पास)

मोहसिन : अरे! यह देखो। यह भिश्ती कितना सुंदर है ?

महमूद : मेरे ये सिपाही और नूरे वकील को देखो। ये कितने अच्छे हैं और खूबसूरत हैं?

सम्मी : हाँ! हाँ! मेरे इस धोबिन को देखिए। यह कैसा है ?

हामिद : (उन्हें ललचाई आँखों से देखते हुए) ये सब मिट्टी के तो हैं, गिरे तो चकनाचूर हो जायेंगे। (वहाँ से मिठाइयों की दुकानों के यहाँ जाते हैं।)

मोहसिन : (रेवडी खरीदता है) “अरे! हामिद यह रेवडी ले ले कितनी खुशबूदार है।” हामिद : “रखे रहो।, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं ?”

सम्मी : अरे, उसके पास तो तीन ही पैसे हैं, तीन पैसे से क्या – क्या लेगा? (लोहे की दुकान के पास हामिद चिमटा खरीदता है।)

सब दोस्तों ने एक साथ मज़ाक करते हुए : यह चिमटा क्यों लाया पगले! इसे क्या करेगा ?

(ई) बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए ।

उत्तर- हमें बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह की भावना रखनी चाहिए । बड़े लोगों को सांसारिक अनुभव हमसे ज्यादा होते है । अगर हमारे सामने कोई समस्या आ जाए तो हम उनसे उसका समाधान ले सकते हैं

 

भाषा की बात

(अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए ।

1. ईद, प्रभात, वृक्ष (पर्याय शब्द लिखिए )

ईद- त्योहार, पर्व, जश्न, जलसा ।

प्रभात- प्रातःकाल, सवेरा, उषा, प्रत्यूषा , निशांत ।

वृक्ष- पेड़, द्रुम, पादप, विटप, तरु ।

 

2. मिठाई, चिमटा, सड़क ( वचन बदलिए )  

मिठाई- मिठाइयां

चिमटा- चिमटे

सड़क- सड़कें

(आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए ।

1. बेसमझ, परलोक, निडर ( उपसर्ग पहचानिए )

बे+समझ = बेसमझ (बे)

पर+लोक= परलोक (पर)

नि+डर =निडर (नि)  

2. दुकानदार, गरीबी (प्रत्यय पहचानिए)

दुकान+दार = दुकानदार (दार)

गरीब+ई= गरीबी (ई)

 

 

Saturday

सुमित्रानंदन पंत और बरसते बादल कविता

                                        पाठ-1

                        बरसते बादल -सुमित्रानंदन पंत 

सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय

सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था । जन्म के कुछ घंटों के बाद ही इनकी माता के निधन हो जाने के बाद इनका पालन पोषण इनकी दादी ने किया । इनका निधन सन् 1977 में हुआ था । इनके साहित्य लेखन के लिए इन्हें साहित्य अकादमी, सोवियत रूस और ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया । इनकी प्रमुख रचनाएं हैं – वीणा , गुंजन , कला और बूढ़ा चाँद तथा चिदंबरा आदि । इन्हें चिदंबरा काव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।



 

शब्दार्थ

1. झम-झम    = भारी वर्षा होने की आवाज, the sound of heavy rainfall

2. मेघ = बादल clouds

3. बरसना = बारिश होना to rain

4. बूंदें = वर्षा के छोटे कण rain drops

5. तरु = वृक्ष tree

6. तम = अंधकार darkness

7. चातक = पपीहा a kind of bird

8. गण = दल a group

9. सोनबालक = जल में रहने वाला पक्षी  a kind of water birds

10. क्रंदन = आवाज करना making sounds

11. घुमड़ -घुमड़ = चारों ओर फैलना spreading all over

12. गर्जन – गरजना = thundering

13. रिमझिम- रिमझिम = छोटी बूंदें little drops

14. स्वर = आवाज sound

15. सिहर उठना = आश्चर्य चकित होना amazing

16. धाराएं = पानी का बहना flow of water

17. रजकण = धूलि कण  dust particles

18. तृण = तिनका a particle

19. घेरना = फैलना to surround

20. सावन = श्रावण मास name of a month

21.  मनभावन = मन को भाने वाला pleasing mind

 

अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया

(अ) घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।

उत्तर - वर्षा ऋतु के समय आकाश में घने बादल छा जाते हैं । वे आकाश भर में इधर-उधर फिरते हैं और वे एक दूसरे से टकराकर गरजते हैं और वर्षा देते हैं । कभी-कभी उनके उर में बिजली चमकती है ।

(आ)1.  हैं झम - झम बरसते झम- झम मेघ के सावन।  

उत्तर- झम- झम- झम- झम मेघ बरसते हैं सावन के ।

2. गगन में गर्जन घुमड़ – घुमड़ गिर भरते मेघ ।

उत्तर - घुमड़ – घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन ।

3. धरती पर झरती धाराएं पर धाराओं ।

उत्तर – धाराओं पर धाराएं झरती धरती पर ।

 

(इ) नीचे दिए गए भाव की पंक्तियाँ लिखिए ।

1. बादलों के घोर अंधकार के बीच बिजली चमक रही है और मन दिन में ही सपने देखने लगा है ।

उत्तर – चम-चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,

       थम थम दिन के तम में सपने जगते मन के ।

2. कवि चाहता है की जीवन में सावन बार-बार आए और सब मिलकर झूलों में झूलें ।

उत्तर – इंद्रधनुष के झूले में झूलें सब जन ,

       फिर-फिर आए जीवन में सावन मनभावन ।।

(ई) पदयांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

बंद किए हैं बादल ने अंबर के दरवाजे सारे ,

नहीं नजर आता है सूरज ना कहीं चाँद-सितारे ।

ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों ने भी पंख पसारे ,

हो प्रसन्न धरती के वासी , नभ की ओर निहारे ।।

1. किसने अम्बर के दरवाजे बंद कर दिए हैं ?

उत्तर – बादल ने अंबर के दरवाजे बंद कर दिए हैं ।

2. इस कविता का विषय क्या हैं ?

उत्तर –इस कविता का विषय वर्षा के समय का प्रकृति का वर्णन है।

 अभिव्यक्ति सृजनात्मकता

(अ) वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। कैसे ?

उत्तर - वर्षा सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है बिना वर्षा और पानी के किसी के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती । वर्षा से पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और मनुष्य सभी खुशी से झूम उठते हैं । वर्षा से किसान खेती करते है और इससे प्राप्त पानी से हमारी प्यास बुझती है । इस प्रकार वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है।

(आ) ‘बरसते बादल’ कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण है । उसे अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर- बरसते बादल” कविता में पंतजी ने वर्षा ऋतु का सुंदर और सजीव चित्रण किया । वह कहते हैं - सावन के मेघ झम – झम बरसते हैं। वर्षा की बूंदें पेडों से छनकर छम – छम आवाज़ करती धरती पर गिरती हैं। मेघों के हृदय में बिजली चम – चम चमकती है। दिन में भी वर्षा के कारण अंधेरा छा जाता है। लोगों के दिलों में सपने जगने लगते हैं।

वर्षा के बरसने पर दादुर टर – टर आवाज़ करते हैं। झींगुर झींझी आवाज़ देते हैं। मोर म्यव – म्यव करते नाचते हैं। पपीहे पीउ – पीउ करके कूकते हैं। सोनबालक पक्षी गीली – खुशी से आह्वान करते हैं। आसमान पर बादल घुमडते गरजते हैं।

रिमझिम बरसनेयाली बूंदों के स्वर हम से कुछ कहते हैं। अर्थात् मन खुश करते हैं। उनके छूते ही शरीर के रोम सिहर उठते हैं। धरती पर जल की धाराएँ झरती हैं। इससे मिट्टी के कण – कण में कोमल अंकुर फूट पडते हैं। अर्थात् मिट्टी का हर कण अतिप्रसन्न लगता है।

वर्षा की धाराओं के साथ कवि का मन झूलने लगता है। वे लोगों को आमंत्रित करते हैं कि आप सब आइए मुझे घेरकर सावन के गीत गाइए। हम सब लोग इंद्रधनुष के झूले में झूलने का आनंद लें। यह कामना करें कि मनभावन सावन हमारे जीवन में बार – बार आए ।

(इ) प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी-सी कविता लिखिए ।  

उत्तर – पेड़ लगाओ, हरियाली लाओ ,

       धरती माँ को स्वच्छ बनाओ।

       नदियाँ हँसे, जंगल लहराए,

       नीला आसमाँ मुस्कुराए ।

(ई) ‘फिर – फिर आए जीवन में सावन मनभावन’ ऐसा क्यों कहा गया होगा ? स्पष्ट कीजिए ।     

उत्तर -वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है। यह ऋतुओं की रानी कहलाती है। सावन के आने से प्रकृति रमणीय होती है। प्रकृति का कण – कण अति प्रसन्न दिखता है। पशु – पक्षी, पेड – पौधे मानव यहाँ तक कि धरती के सभी प्राणी, धरती तक खुशी से नाच उठते हैं। इसीलिए पंतजी ने मनभावन सावन को बार – बार आने के लिए कहा होगा ।

भाषा की बात

(अ) तरु, गगन, घन पर्याय शब्द लिखिए ।

1. तरु- पेड़, वृक्ष, पादप, वट, विटप आदि।

2. गगन- आसमान, फलक, अंबर, अंतरिक्ष, आकाश, व्योम, नभ अनंत, अधर आदि ।

3. घन - मेघ, बादल, घटा, अंबुद, अंबुधर, नीरद, बारिधर, तोयड, बलाहक आदि ।

 

(आ) मेघ, तरु वाक्य प्रयोग कीजिए ।

1. मेघ- मेघ बरसते हैं ।

2. तरु – तरु फल देते हैं ।

(इ) इन्हें समझिए और सूचना के अनुसार कीजिए ।

1. बादल बरसते हैं ।( रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए।)   

उत्तर- बादल = संज्ञा, जातिवाचक, पुलिंग शब्द है।

2. पेड़-पौधे, पशु-पक्षी ( समास पहचानिए)

पेड़-पौधे = पेड़ और पौधे ( द्वंद्व समास )

पशु-पक्षी = पशु और पक्षी ( द्वंद्व समास )

 

(ई) शब्द संक्षेप में लिखिए ।

1. मन को भाने वाला = मनभावन

2.मन को मोहने वाला = मनमोहन  

 

Sunday

रामधारी सिंह दिनकर का काव्य

 

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, रचनाएँ व भाषा-शैली

राष्ट्रकवि 'रामधारी सिंह ‘दिनकर’  का हिंदी के ओजस्वी कवियों में शीर्ष स्थान हैं। राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत उनकी कविताओं में प्रगतिवादी स्वर भी मुखरित है, जिसमें उन्होंने शोषण का विरोध करते हुए मानवतावादी मूल्यों का समर्थन किया है। वे हिंदी के महान कवि, श्रेष्ठ निबंधकार , विचारक एवं समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं।




रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जीवन परिचय

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म 30 सितम्बर, सन् 1908 ई० में बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक ग्राम में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह तथा माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी था। अल्पायु में ही इनके पिता का देहान्त हो गया था। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बी० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की और इच्छा होते हुए भी पारिवारिक कारणों से आगे की पढ़ाई न क सके और नौकरी में लग गये।

कुछ दिनों तक इन्होंने माध्यमिक विद्यालय मोकामाघाट में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य किया। फिर सन् 1934 ई० में बिहार के सरकारी विभाग में सब-रजिस्ट्रार की नौकरी की। सन् 1950 ई० में इन्होंने मुजफ्फरपुर के स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। सन् 1952 ई० में ये राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। कुछ समय ये भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे।

उसके पश्चात्‌ भारत सरकार के गृह-विभाग में हिन्दी सलाहकार के रूप में एक लम्बे अर्से तक हिन्दी के संवर्द्धन एवं प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत रहे। सन्‌ 1959 ई0 में भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मभूषण‘ से सम्मानित किया तथा सन् 1962 ई० में भागलपुर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी० लिट्० की उपाधि प्रदान की। सन् 1972 ई० में इनकी काव्य-रचना ‘उर्वशी‘ पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्दी-साहित्य-गगन का यह सुर्य 24 अप्रैल, सन् 1974 ई० को सदा के लिए अस्त हो गया।



रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का साहित्यिक परिचय

‘दिनकर’ जी में काव्य-प्रतिभा जन्मजात थी, मैट्रिक में पढ़ते समय ही इनका ‘प्रणभंग‘ नामक काव्य प्रकाशित हो गया था। इसके पश्चात सन्‌ 1928-29 से विधिवत्‌ साहित्य-सृजन के क्षेत्र में पदार्पण किया। राष्ट्र-प्रेम से ओत-प्रोत इनकी ओजस्वी कविताओं ने सोए हुए जनमानस को झकझोर दिया।

मुक्तक, खंडकाव्य और महाकाव्य की रचना कर इन्होंने अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय दिया। गद्य के क्षेत्र में निबंधों और ग्रंथों की रचना कर भारतीय दर्शन, संस्कृति, कला एवं साहित्य का गंभीर विवेचन प्रस्तुत कर हिंदी साहित्य के भंडार को परिपूर्ण करने का सतत प्रयास किया।

इनकी साहित्य साधना को देखते हुए राष्ट्रपति महोदय ने सन्‌ 1959 मे इन्हें ‘पद्मभूषण‘ की उपाधि से अलंकृत किया। इनकी रचना ‘उर्वशी’ के लिए इन्हें ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार‘ तथा ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार‘ से सम्मानित किया गया।



रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की भाषा-शैली

दिनकर जी की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली है, जिसमें संस्कृत शब्दों की बहुलता है। इन्होंने तद्भव और देशज शब्दों तथा मुहावरों और लोकोक्तियों का भी सहज स्वाभाविक प्रयोग किया है।

अंग्रेजी और उर्दू के प्रचलित शब्द भी उनकी भाषा में दिखाई पड़ते हैं। संस्कृतनिष्ठ भाषा के साथ-साथ व्यावहारिक भाषा भी उनकी गद्य रचनाओं में देखने को मिलती है। कहीं-कहीं उनकी भाषा में देशज शब्दों और मुहावरों का प्रयोग भी मिल जाता है।

विषय के अनुरूप उनकी शैली में विविधता दिखाई पड़ती है। गंभीर विषयों के वर्णन में उन्होंने विवेचनात्मक शैली का प्रयोग किया है। कवि-हदय होने से उनकी गद्य रचनाओं में भावात्मक शैली भी दिखाई पड़ती है।

समीक्षात्मक निबंधों में उन्होंने अक्सर आलोचनात्मक शैली का प्रयोग किया है तो कहीं-कहीं जीवन के शाश्वत सत्यों को अभिव्यक्त करने के लिए वे सूक्ति शैली का भी प्रयोग करते हैं।

व्याकरण किसे कहते हैं ?

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