“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो
महेश्वरः,
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे
नमः॥
अर्थात गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात्
परब्रह्मा है, उन सद्गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ।
माननीय प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण, और मेरे सभी प्रिय साथियों...
आज हम सभी यहाँ शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में
एकत्र हुए हैं। यह दिन हमारे उन गुरुओं को समर्पित है जिन्होंने हमें न केवल
किताबी ज्ञान दिया, बल्कि जीवन के हर पहलू में हमारा मार्गदर्शन
किया। शिक्षक हमारी जिंदगी के ऐसे आधार होते हैं जो हमें हर कठिनाई से पार पाने की
हिम्मत देते हैं। वे हमारी गलतियों को सुधारते हैं, हमारी क्षमताओं को पहचानते हैं, और हमें जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के
लिए प्रेरित करते हैं।
शायद आप में से कई लोगों को पता होगा कि विश्व
भर में शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह दिन 5 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले
उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य
में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन एक विद्वान, शिक्षक और प्रसिद्ध दार्शनिक थे। उन्होंने अपने
जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की अपील की थी, ताकि पूरे शिक्षक समुदाय को सम्मानित किया जा
सके। यह उनकी विनम्रता और निःस्वार्थ भावना को दर्शाता है, जो शिक्षकों को प्रोत्साहित और सम्मानित करने
के लिए थी। इस विशेष दिन पर हम सभी को अपने शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने का
एक अनूठा अवसर मिलता है।
शिक्षक न केवल हमारे ज्ञान को बढ़ाते हैं, बल्कि हमें नैतिकता, अनुशासन और अच्छे आचरण का पाठ भी पढ़ाते हैं।
वे हमें सही और गलत का भेद समझाते हैं औरहमें जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के
लिए प्रेरित करते हैं। आज के इस विशेष दिन पर, हम अपने सभी शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त
करते हैं और उन्हें इस विशेष दिन की शुभकामनाएँ देते हैं। आपके द्वारा दी गई
शिक्षाएँ और उपदेश हमेशा मेरे जीवन में मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।