Tuesday

हिन्दी दिवस

 

हिन्दी दिवस मनाने के आडम्बर का क्या अर्थ है?

साल भर चाहे हिन्दी की चिन्दी होती रहे पर साल में कम से कम एक दिन के लिए तो उसकी पूछ हो ही जाती है यानि कि प्रतिवर्ष 14 सितम्बर के दिन हिन्दी को, दिखावे के लिए ही सही, रानी बना दिया जाता है। हिन्दी दिवस मनाया जाता है, शासकीय कार्यालयों में हिन्दी से सम्बन्धित अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें बड़े-बड़े शासकीय अधिकारी अंग्रेजी मिश्रित हिन्दी में भाषण दिया करते हैं। भारत सरकार ने आखिर हिन्दी को "राजभाषा" का दर्जा जो दिया है। 




न राज रहे न राजा, रह गई है तो सिर्फ राजभाषा। भारत एक राष्ट्र है न कि एक राज। जब राज ही नहीं है तो यह बात समझ से परे है कि भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर,  1949 को हिन्दी को राजभाषा बनाने का फैसला किस आधार पर किया? इस प्रकार से तो राष्ट्रपिता के स्थान पर राजपिता होना चाहिए था। भारत के पास अपना राष्ट्रीय ध्वज है, राष्ट्रीय गान है, राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न है .... नहीं है तो सिर्फ राष्ट्रभाषा नहीं है।

आखिर क्यों हो एक राष्ट्रभाषा? भारत में अनेक भाषाएँ और बोलियाँ है भाई! संविधान के अनुच्छेद 344 (1) और 351 के अनुसार उनमें से निम्न भाषाएँ मुख्य तौर पर बोली जाती हैं

अंग्रेजी, आसामी, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू।

अब भारत शासन यदि हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे देती तो शेष भाषाओं को क्या दोयम दर्जा देना नहीं होगा? तो निश्चय किया गया कि भारत में राष्ट्रभाषा न होकर राजभाषा होनी चाहिए! इस प्रकार से सभी सन्तुष्ट रहेंगे। भारत में तो तुष्टिकरण का शुरू से ही रवैया रहा है।




भारत में अधिकृत रूप से कोई भी भाषा राष्ट्रभाषा नहीं है किन्तु देखा जाए तो आज भी परोक्ष रूप से अंग्रेजी ही इस राष्ट्र की राष्ट्रभाषा है। शासकीय नियम के अनुसार हिन्दीभाषी क्षेत्र के कार्यालयों के नामपटल द्विभाषीय अर्थात् हिन्दी और अंग्रेजी में तथा अन्य क्षेत्रों में त्रिभाषीय अर्थात् क्षेत्रीय भाषा, हिन्दी और अंग्रेजी में होने चाहिए। याने कि क्षेत्र चाहे हिन्दीभाषी हो या अन्य, अंग्रेजी का वहाँ होना आवश्यक है। तो है कि नहीं परोक्ष रूप से भारत की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी!

भारत का राष्ट्रीय शासन अपने संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संकल्प लेती है कि संघ की राजभाषा हिंदी रहेगी और उसके अनुच्छेद  351  के अनुसार हिंदी  भाषा का प्रसारवृद्धि करना और उसका विकास करना ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति  के सब तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम हो सके, संघ का कर्तव्य है।
हिंदी के प्रसार एंव विकास की गति बढ़ाने के हेतु तथा संघ के विभिन्न राजकीय प्रयोजनों के लिए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हेतु भारत सरकार द्वारा एक अधिक गहन एवं व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा और उसे कार्यान्वित किया जाएगा।




इस संकल्प को पूरा करने का कितना प्रयास किया गया और जा रहा है यह तो इसी बात से पता चल जाता है कि हमारे बच्चे आज हमसे पूछते हैं कि "चौंसठ" का मतलब "सिक्स्टी फोर" ही होता है ना? उन्हें "सिक्स्टी फोर" की समझ है, "चौंसठ" की नहीं। बच्चों की बात छोड़िए आज हममें से ही अधिकतर लोगों को यह भी नहीं पता है कि अनुस्वार, चन्द्रबिंदु और विसर्ग क्या होते हैं। हिन्दी के पूर्णविराम के स्थान पर अंग्रेजी के फुलस्टॉप का अधिकांशतः प्रयोग होने लगा है। अल्पविराम का प्रयोग तो यदा-कदा देखने को मिल जाता है किन्तु अर्धविराम का प्रयोग तो लुप्तप्राय हो गया है।




विडम्बना तो यह है कि परतन्त्रता में तो हिन्दी का विकास होता रहा किन्तु जब से देश स्वतन्त्र हुआ, हिन्दी का विकास ही रुक गया उल्टे उसकी दुर्गति होनी शुरू हो गई। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद शासन की नीति तुष्टिकरण होने के कारण हिन्दी को राष्ट्रभाषा के स्थान पर "राजभाषा" बना दिया गया। विदेश से प्रभावित शिक्षानीति ने हिन्दी को गौण बना कर अग्रेजी के महत्व को ही बढ़ाया। हिन्दी की शिक्षा धीरे-धीरे मात्र औपचारिकता बनते चली गई। दिनों-दिन अंग्रेजी माध्यम वाले कान्वेंट स्कूलों के प्रति मोह बढ़ते चला गया और आज हालत यह है कि अधिकांशतः लोग हिन्दी की शिक्षा से ही वंचित हैं।

भाषा के प्रचार के लिए सिनेमा एक सशक्त माध्यम है किन्तु भारतीय सिनमा में हिन्दी फिल्मों की भाषा हिन्दी न होकर हिन्दुस्तानी, जो कि हिन्दी और उर्दू की खिचड़ी है, रही। और इसका प्रभाव यह हुआ कि लोग हिन्दुस्तानी को ही हिन्दी समझने लगे। दूसरा प्रभावशाली माध्यम है मीडिया किन्तु टीव्ही के निजी चैनलों ने हिन्दी में अंग्रेजी का घालमेल करके हिन्दी को गर्त में और भी नीचे ढकेलना शुरू कर दिया और वहाँ प्रदर्शित होने वाले विज्ञापनों ने तो हिन्दी की चिन्दी करने में "सोने में सुहागे" का काम किया। इसी प्रकार से रोज पढ़े जाने वाले हिन्दी समाचार पत्रों, जिनका प्रभाव लोगों पर सबसे अधिक पड़ता है, ने भी वर्तनी तथा व्याकरण की गलतियों पर ध्यान देना बंद कर दिया और पाठकों का हिन्दी ज्ञान अधिक से अधिक दूषित होते चला गया।

अब अन्तरजाल में ब्लोग्स का साम्राज्य है। हिन्दी ब्लोग्स की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है किन्तु प्रायः हिन्दी ब्लोग्स में "हम मुर्ख हैं", "बातें कि जाये" आदि पढ़ने के लिए मिलता है। यह सोचकर कि वर्तमान में हिन्दी भाषा के लिए उन्नत तकनीक उपलब्ध नहीं हैं और अनेक अहिन्दीभाषी लोग भी हिन्दी ब्लोग लिख रहे हैं तथा उनसे ऐसा होना स्वाभाविक है, एक बार इसे अनदेखा किया भी जा सकता है मगर दुःख तो इस बात का होता है कि कई बार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे हिन्दीभाषी क्षेत्र के ब्लोगरों के ब्लोग्स में भी हिज्जे और व्याकरण की गलतियाँ मिलती हैं। इसका मुख्य कारण सिर्फ यही लगता है कि हम हिन्दीभाषी ब्लोगर्स अपनी प्रविष्टियाँ आनन फानन में बिना जाँचे ही प्रकाशित कर देते हैं। यदि हम अपनी प्रविष्टियाँ प्रकाशित करने के पहले एक बार उसे पढ़ लें तो इस प्रकार की गलतियाँ हो ही नहीं सकती।




हिन्दी ब्लोग्स में अंग्रेजी-हिन्दी की खिचड़ी वाले ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है जिनका अर्थ न तो नलंदा विशाल शब्दसागर जैसे हिन्दी से हिन्दी शब्दकोश में खोजने पर भी नहीं मिलता और न ही आक्फोर्ड, भार्गव आदि अंग्रेजी से हिन्दी शब्दकोशों में।

इन्सान गलतियों का पुतला है, मुझसे भी अपने पोस्ट में अनेक बार हिज्जों तथा व्याकरण की गलतियाँ होती हैं, हो सकता है कि इस पोस्ट में भी हुई हों। मेरा प्रयास तो यही रहता है कि ऐसी गलतियाँ न हों किन्तु कई बार प्रयास के बावजूद भी रह जाती हैं, पता चलने पर उन्हें सुधारता भी हूँ। अनजाने में हुई गलती क्षम्य है किन्तु जानबूझ कर की जाने वाली गलतियों के विषय में क्या कहा जा सकता है?




यदि हम अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी को सँवारने-निखारने का कार्य नहीं कर सकते तो क्या हमारा यह कर्तव्य नहीं बनता कि कम से कम उसके रूप को विकृत करने का प्रयास तो न करें।

 

Wednesday

शिक्षक दिवस

 

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः,

 गुरुः साक्षात्‌ परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

अर्थात गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात् परब्रह्मा है, उन सद्गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ।



माननीय प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण, और मेरे सभी प्रिय साथियों...

आज हम सभी यहाँ शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में एकत्र हुए हैं। यह दिन हमारे उन गुरुओं को समर्पित है जिन्होंने हमें न केवल किताबी ज्ञान दिया, बल्कि जीवन के हर पहलू में हमारा मार्गदर्शन किया। शिक्षक हमारी जिंदगी के ऐसे आधार होते हैं जो हमें हर कठिनाई से पार पाने की हिम्मत देते हैं। वे हमारी गलतियों को सुधारते हैं, हमारी क्षमताओं को पहचानते हैं, और हमें जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।



शायद आप में से कई लोगों को पता होगा कि विश्व भर में शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह दिन 5 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन एक विद्वान, शिक्षक और प्रसिद्ध दार्शनिक थे। उन्होंने अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की अपील की थी, ताकि पूरे शिक्षक समुदाय को सम्मानित किया जा सके। यह उनकी विनम्रता और निःस्वार्थ भावना को दर्शाता है, जो शिक्षकों को प्रोत्साहित और सम्मानित करने के लिए थी। इस विशेष दिन पर हम सभी को अपने शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने का एक अनूठा अवसर मिलता है।



शिक्षक न केवल हमारे ज्ञान को बढ़ाते हैं, बल्कि हमें नैतिकता, अनुशासन और अच्छे आचरण का पाठ भी पढ़ाते हैं। वे हमें सही और गलत का भेद समझाते हैं औरहमें जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। आज के इस विशेष दिन पर, हम अपने सभी शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उन्हें इस विशेष दिन की शुभकामनाएँ देते हैं। आपके द्वारा दी गई शिक्षाएँ और उपदेश हमेशा मेरे जीवन में मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।

 

Monday

Morning school assembly speech ( script), स्कूल प्रार्थना भाषण

 सुप्रभात,

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण एवम् मेरे प्यारे सहपाठियों,आज की इस सुहानी सुबह में मैं...........आपका स्वागत करता/करती हूं। हम सब जानते हैं कि स्कूल असेंबली हमारे दिन की शुरुआत को सकारात्मक और ऊर्जावान बनाती है। तो चलिए ,आज कि इस विशेष असेंबली की शुरुआत करते है।




प्रार्थना

सबसे पहले, हम भगवान से आशीर्वाद लेने के लिए प्रार्थना करेंगे,प्रार्थना हमारे मन और आत्मा को शांति प्रदान करती है,तो सभी हाथ जोड़कर, आंखे बंद करके प्रार्थना में शामिल हो।




प्रार्थना के बाद भाषण 

धन्यवाद, प्रार्थना हम हमेशा सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।अब हम अपने दिन के  अगले कार्यक्रम की ओर बढ़ते हैं।




राष्ट्रीय गीत

अब समय आ गया है कि हम राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' गाकर अपनी मातृभूमि को गौरवान्वित करें।




प्रतिज्ञा

संकल्प का अर्थ है- अटल रहना अपने कथन पर, अपने सिद्धांतों पर, न्याय पर, और अच्छाइयों के साथ दृढ़तापूर्वक खड़े रहना और अपने जीवन में अटल और दृढ़ निश्चय बने रहने के लिए हम प्रतिज्ञा करते है ओर इसी के साथ मैं प्रतिज्ञा के लिए ................., को आमंत्रित करता/करती हूं ।



सुविचार

हमारे जीवन में अच्छे विचारों का बहुत महत्त्व है। ये हमारे दिन की शुरुआत को सार्थक बनाते है।अब मैं आज के सुविचार के लिए.............. को आमंत्रित करता/करती हूँ।


हिंदी शब्दावली 

आइए अब हम आज की हिंदी शब्दावली की ओर बढ़ते हैं।आज की हिंदी शब्दावली के लिए मैं मंच पर..................को आमंत्रित करता/करती हूं।


समान्य ज्ञान का प्रश्न

सामान्य ज्ञान के प्रश्न के लिए मैं..............को आमंत्रित करता/करती हूं।


हिंदी मुहावरा 

हिंदी मुहावरे के लिए मैं ..................को आमंत्रित करता/करती हूं।


कविता 

कविता हमारे विचारों और भावों को व्यक्त करने का एक सुंदर तरीका है । अब मैं .......................................को आमंत्रित करता /करती हूँ ,जो हमें एक सुंदर कविता सुनाएंगे । 


कहानी 

कहानी हमेशा मजेदार होती है और हमें एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है । तो अब मैं  .................................................   को आमंत्रित करता /करती हूँ ,जो हमे एक रोचक कहानी सुनाएंगे । 


समाचार 

समाचार--समाचार हमे देश विदेश की घटनाओं से रूबरू करवाते है और हमारे ज्ञान का सतत और निरंतर विकास कराते है अतः आज के समाचार के लिए मैं………… आमंत्रित करता हूँ।


मुख्य अतिथि का भाषण 

अब मैं इस मंच पर हमारे आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, को आमंत्रित करना चाहूंगा/ चाहूँगी जो हमें अपने अमूल्य शब्दों से प्रेरणा देंगे। 


Friday

हिंदी मुहावरे (मुहावरा)

मुहावरे किसे कहते हैं?
हिंदी मुहावरे, हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाले एक वाक्यांश को कहते हैं जिसका अर्थ उसके शाब्दिक अर्थ से भिन्न होता है। ये अर्थ सहित हिंदी मुहावरे (Muhavare in hindi) वाक्यांशों के माध्यम से दिए गए विशेषता या भाव को अधिक स्पष्ट करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। 
मुहावरे भाषा को रंगीन बनाने में मदद करते हैं और वाक्यों को दिलचस्प बनाते हैं। इन्हें कहावतें भी कहते हैं।



कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है ।
1.अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना - (स्वयं अपनी प्रशंसा करना ) - अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।
2.अक्ल का चरने जाना - (समझ का अभाव होना) - इतना भी समझ नहीं सके , क्या अक्ल चरने गई है?
3.अपने पैरों पर खड़ा होना - (स्वालंबी होना) - युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।
4.अक्ल का दुश्मन - (मूर्ख) - आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।
5.अपना उल्लू सीधा करना -(मतलब निकालना) -आजकल के नेता अपना अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते हैं।
6.आँखे खुलना - (सचेत होना) - ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखें खुलती हैं।
7.आँख का तारा - (बहुत प्यारा) - आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।
8.आँखे दिखाना - (बहुत क्रोध करना) - राम से मैंने सच बातें कह दी , तो वह मुझे आँख दिखाने लगा।
9.आसमान से बातें करना - (बहुत ऊँचा होना) - आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है ,जो आसमान से बातें करती है।
10 .ईंट से ईंट बजाना - (पूरी तरह से नष्ट करना) - राम चाहता था कि वह अपने शत्रु के घर की ईंट से ईंट बजा दे।
ईंट का जबाब पत्थर से देना - (जबरदस्त बदला लेना) - भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा ।
11.ईद का चाँद होना - (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) - तुम तो दिखाई ही नहीं देते, लगता है कि ईद के चाँद हो गए हो।



12.उड़ती चिड़िया पहचानना - (रहस्य की बात दूर से जान लेना) - वह इतना अनुभवी है कि उसे उड़ती चिड़िया पहचानने में देर नहीं लगती।
13.उन्नीस बीस का अंतर होना - (बहुत कम अंतर होना) - राम और श्याम की पहचान कर पाना बहुत कठिन है ,क्योंकि दोनों में उन्नीस- बीस का ही अंतर है।
14.उलटी गंगा बहाना - (अनहोनी हो जाना) - राम इतना गुस्सैल है कि किसी से प्रेम से बात कर ले, तो समझो उलटी गंगा बह जाए।
15. अंगारे उगलना–(क्रोध में लाल–पीला होना)
अभिमन्यु की मृत्यु से आहत अर्जुन कौरवों पर अंगारे उगलने लगा।
16. अंगारों पर पैर रखना–(स्वयं को खतरे में डालना)
व्यवस्था के खिलाफ लड़ना अंगारों पर पैर रखना है।
17. अन्धे के आगे रोना–(व्यर्थ प्रयत्न करना)
अन्धविश्वासी अज्ञानी जनता के मध्य मार्क्सवाद की बात करना अन्धे के आगे रोना है।
18. अंगूर खट्टे होना–(अप्राप्त वस्तु की उपेक्षा करना)
अजय, “सिविल सेवकों को नेताओं की चापलूसी करनी पड़ती है” कहकर, अंगूर खट्टे वाली बात कर रहा है, क्योंकि वह परिश्रम के बावजूद नहीं चुना गया।
19. अंगूठी का नगीना–(सजीला और सुन्दर)
विनय कम्पनी की अंगूठी का नगीना है।
20अल्लाह मियाँ की गाय–(सरल प्रकृति वाला)
रामकुमार तो अल्लाह मियाँ की गाय है।
21. अंतड़ियों में बल पड़ना–(संकट में पड़ना)
अपने दोस्त को चोरों से बचाने के चक्कर में, मैं ही पकड़ा गया और मेरी ही अंतड़ियों में बल पड़ गए।
22. अन्धा बनाना–(मूर्ख बनाकर धोखा देना)
अपने गुरु को अन्धा बनाना सरल कार्य नहीं है, इसलिए मुझसे ऐसी बात मत करो।
23. अंग लगाना–(आलिंगन करना)
प्रेमिका को बहुत समय पश्चात् देखकर रवि ने उसे अंग लगा लिया।
24. अंगारे बरसना–(कड़ी धूप होना)
जून के महीने में अंगारे बरस रहे थे और रिक्शा वाला पसीने से लथपथ था।
25. अक्ल खर्च करना–(समझ को काम में लाना)
इस समस्या को हल करने में थोड़ी अक्ल खर्च करनी पड़ेगी।
26.अड्डे पर चहकना–(अपने घर पर रौब दिखाना)
अड्डे पर चहकते फिरते हो, बाहर निकलो तो तुम्हें देखा जाए।
27.अन्धाधुन्ध लुटाना–(बहुत अपव्यय करना)
उद्योगपतियों और बड़े व्यापारियों की बीवियाँ अन्धाधुन्ध पैसा लुटाती हैं।
28. अपनी खाल में मस्त रहना–(अपनी दशा से सन्तुष्ट रहना)
संजय 4000 रुपए कमाकर अपनी खाल में मस्त रहता है।
29. अन्न न लगना–(खाकर–पीकर भी मोटा न होना)
अभय अच्छे से अच्छा खाता है, लेकिन उसे अन्न नहीं लगता।
30. अधर में लटकना या झूलना–(दुविधा में पड़ा रह जाना)
कल्याण सिंह भाजपा में पुन: शामिल होंगे यह फैसला बहुत दिन तक अधर में लटका रहा।
31.. अठखेलियाँ सूझना–(हँसी दिल्लगी करना)
मेरे चोट लगी हुई है, उसमें दर्द हो रहा है और तुम्हें अठखेलियाँ सूझ रही हैं।
32. अंग न समाना–(अत्यन्त प्रसन्न होना)
सिविल सेवा में चयन से अनुराग अंग नहीं समा रहा है।
33. अंगूठे पर मारना–(परवाह न करना)
तुम अजीब व्यक्ति हो, सभी की सलाह को अंगूठे पर मार देते हो।
34. अंटी मारना–(कम तौलना)
बहुत से पंसारी अंटी मारने से बाज नहीं आते।
35.अंग टूटना–(थकावट से शरीर में दर्द होना)
दिन भर काम करा अब तो अंग टूट रहे हैं।
36. अंधेर नगरी–(जहाँ धांधली हो)
पूँजीवादी व्यवस्था ‘अंधेर नगरी’ बनकर रह गई है।
37. अंकुश न मानना–(न डरना)
युवा पीढ़ी किसी का अंकुश मानने को तैयार नहीं है।
38.अन्न का टन्न करना–(बनी चीज को बिगाड़ देना)
अभी–अभी हुए प्लास्टर पर तुमने पानी डालकर अन्न का टन्न कर दिया।
39.अन्न–जल बदा होना–(कहीं का जाना और रहना अनिवार्य हो जाना)
हमारा अन्न–जल तो मेरठ में बदा है।
40. अधर काटना–(बेबसी का भाव प्रकट करना)
पुलिस द्वारा बेटे की पिटाई करते देख पिता ने अपने अधर काट लिए।
41.अपनी हाँकना–(आत्म श्लाघा करना)
विवेक तुम हमारी भी सुनोगे या अपनी ही हाँकते रहोगे।
42.. अर्श से फर्श तक–(आकाश से भूमि तक)
भ्रष्टाचार में लिप्त बाबूजी बड़ी शेखी बघारते थे, एक मामले में निलंबित होने पर वे अर्श से फर्श पर आ गए।
43. अलबी–तलबी धरी रह जाना–(निष्प्रभावी होना)
बहुत ज्यादा परेशान करोगी तो तुम्हारे घर शिकायत कर दूंगा। सारी अलबी–तलबी धरी रह जाएगी।
44. अस्ति–नास्ति में पड़ना–(दुविधा में पड़ना)
दो लड़कियों द्वारा पसन्द किए जाने पर वह अस्ति–नास्ति में पड़ा हुआ है और कुछ निश्चय नहीं कर पा रहा है।
45.अन्दर होना–(जेल में बन्द होना)
मायावती के राज में शहर के अधिकतर गुण्डे अन्दर हो गए।
46. अरमान निकालना–(इच्छाएँ पूरी करना)।
बेरोज़गार लोग नौकरी मिलने पर अरमान निकालने की सोचते हैं।
47. आग पर तेल छिड़कना–(और भड़काना)
बहुत से लोग सुलह सफ़ाई करने के बजाय आग पर तेल छिड़कने में प्रवीण होते हैं।
48.आग पर पानी डालना–(झगड़ा मिटाना)
भारत व पाक आपसी समझबूझ से आग पर पानी डाल रहे हैं।
49. आग–पानी या आग और फूस का बैर होना–(स्वाभाविक शत्रुता होना)
भाजपा और साम्यवादी पार्टी में आग–पानी या आग और फूस का बैर है।
50.आँख लगना–(झपकी आना)
रात एक बजे तक कार्य किया, फिर आँख लग गई।
51. आँखों से गिरना–(आदर भाव घट जाना)
जनता की निगाहों से अधिकतर नेता गिर गए हैं।
52. आँखों पर चर्बी चढ़ना–(अहंकार से ध्यान तक न देना)
पैसे वाले हो गए हो, अब क्यों पहचानोगे, आँखों पर चर्बी चढ़ गई है ना।
53. आँखें नीची होना–(लज्जित होना)
बच्चों की करतूतों से माँ–बाप की आँखें नीची हो गईं।
54.आँखें मूंदना–(मर जाना)
आजकल तो बाप के आँखें मूंदते ही बेटे जायदाद का बँटवारा कर लेते हैं।
55.. आँखों का पानी ढलना (निर्लज्ज होना)
अब तो तुम किसी की नहीं सुनते, लगता है, तुम्हारी आँखों का पानी ढल गया है।
56. आँख का काँटा–(बुरा होना)
मनोज मुझे अपनी आँख का काँटा समझता है, जबकि मैंने कभी उसका बुरा नहीं किया।
57= आँख में खटकना–(बुरा लगना)
स्पष्टवादी व्यक्ति अधिकतर लोगों की आँखों में खटकता है।
58.आँख का उजाला–(अति प्रिय व्यक्ति)
राज अपने माता–पिता की आँखों का उजाला है।
59.आँख मारना–(इशारा करना)
रमेश ने सुरेश को कल रात वाली बात न बताने के लिए आँख मारी।
60. आँखों पर परदा पड़ना–(धोखा होना)
शर्मा जी ने सच्चाई बताकर, मेरी आँखों से परदा हटा दिया।




61. आँख बिछाना–(स्वागत, सम्मान करना)
रामचन्द्र जी की अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में आँखें बिछा दीं।
62.आँखों में धूल डालना–(धोखा देना)
सुभाषचन्द्र बोस अंग्रेज़ों की आँखों में धूल डालकर, अपने आवास से निकलकर विदेश पहुँच गए।
63.आँख में घर करना–(हृदय में बसना)
विभा की छवि राज की आँखों में घर कर गई।
64.आँख लगाना– (बुरी अथवा लालचभरी दृष्टि से देखना)
चीन अब भी भारत की सीमाओं पर आँख लगाये हुए हैं।
65. आँखें ठण्डी करना–(प्रिय–वस्तु को देखकर सुख प्राप्त करना)
पोते को वर्षों बाद देखकर बाबा की आँखें ठण्डी हो गईं।
66. आँखें फाड़कर देखना–(आश्चर्य से देखना)
ऐसे आँखें फाड़कर क्या देख रही हो, पहली बार मिली हो क्या?
67.आँखें चार करना–(आमना–सामना करना)
एक दिन अचानक केशव से आँखें चार हुईं और मित्रता हो गई।
68.आँखें फेरना–(उपेक्षा करना)
जैसे ही मेरी उच्च पद प्राप्त करने की सम्भावनाएँ क्षीण हुईं, सबने मुझसे आँखें फेर ली।
69.आंख भरकर देखना–(इच्छा भर देखना)
जी चाहता है तुम्हें आँख भरकर देख लूँ, फिर न जाने कब मिलें।
70. आँख खिल उठना–(प्रसन्न हो जाना)
पिता जी ने जैसे ही अपने छोटे से बच्चे को देखा, वैसे ही उनकी आँख खिल उठी।
71.आँख चुराना–(कतराना)
जब से विजय ने अजय से उधार लिया है, वह आँख चुराने लगा है।
72. आँख का काजल चुराना–(सामने से देखते–देखते माल गायबकर देना) विवेक के देखते ही देखते उसका सामान गायब हो गया; जैसे किसी ने उसकी आँख का काजल चुरा लिया हो।
73. आँख निकलना–(विस्मय होना)
अपने खेत में छिपा खजाना देखकर गोधन की आँख निकल आई।
74. आँख मैली करना–(दिखावे के लिए रोना/बुरी नजर से देखना)
अरुण ने अपने घनिष्ठ मित्र की मृत्यु पर भी केवल अपनी आँखें ही मैली की।
75. आँखों में धूल झोंकना–(धोखा देना)
कुछ डकैत पुलिस की आँखों में धूल झोंककर मुठभेड़ से बचकर निकल गए।
76. आँखें दिखाना–(डराने–धमकाने के लिए रोष भरी दृष्टि से देखना) रामपाल ने अपने ढीठ बेटे को जब तक आँखें न दिखायीं, तब तक उसने उनका कहना नहीं माना।
77. आँखें तरेरना–(क्रोध से देखना)
पैसे न हो तो पत्नी भी आँखें तरेरती है।
78. आँखों का तारा–(अत्यन्त प्रिय)
इकलौता बेटा अपने माँ–बाप की आँखों का तारा होता है।
79. आटा गीला होना–(कठिनाई में पड़ना)
सुबोध को एंक के पश्चात् दूसरी मुसीबत घेर लेती है, आर्थिक तंगी में। उसका आटा गीला हो गया।
80.आँचल में बाँधना–(ध्यान में रखना)
पति–पत्नी को एक–दूसरे पर विश्वास करना चाहिए, यह बात आँचल में बाँध लेनी चाहिए।
81. आकाश में उड़ना–(कल्पना क्षेत्र में घूमना)
बिना धन के कोई व्यापार करना आकाश में उड़ना है।
82. आकाश–पाताल एक करना–(कठिन परिश्रम करना)
मैं व्यवस्था को बदलने के लिए आकाश–पाताल एक कर दूंगा।
83.आकाश–कुसुम होना–(दुर्लभ होना)
किसी सामान्य व्यक्ति के लिए विधायक का पद आकाश–कुसुम हो गया
84. आसमान सिर पर उठाना–(उपद्रव मचाना)
शिक्षक की अनुपस्थिति में छात्रों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
85. आगा पीछा करना–(हिचकिचाना)
सेठ जी किसी शुभ कार्य हेतु चन्दा देने के लिए आगा पीछा कर रहे हैं।
86.आकाश से बातें करना–(काफी ऊँचा होना)
दिल्ली में आकाश से बातें करती बहुत–सी इमारतें हैं।
87. आवाज़ उठाना–(विरोध में कहना)
वर्तमान व्यवस्था के विरोध में मीडिया में आवाज़ उठने लगी है।
88. आसमान से तारे तोड़ना–(असम्भव काम करना)
अपनी सामर्थ्य समझे बिना ईश्वर को चुनौती देकर तुम आकाश से तारे तोड़ना चाहते हो?
89. आस्तीन का साँप–(विश्वासघाती मित्र)
राज ने निर्भय की बहुत सहायता की लेकिन वह तो आस्तीन का साँप निकला।
90. आठ–आठ आँसू रोना–(बहुत पश्चात्ताप करना)
दसवीं कक्षा में पुन: अनुत्तीर्ण होकर रमेश ने आठ–आठ आँसू रोये थे।
91.आसन डोलना–(विचलित होना)
विश्वामित्र की तपस्या से इन्द्र का आसन डोल गया।
92. आग–पानी साथ रखना–(असम्भव कार्य करना)
अहिंसा द्वारा भारत में क्रान्ति लाकर गाँधीजी ने आग–पानी साथ रख दिया।
93. आधी जान सूखना–(अत्यन्त भय लगना)
घर में चोरों को देखकर लालाजी की आधी जान सूख गई।
94. आपे से बाहर होना–(क्रोध से अपने वश में न रहना)
फ़िरोज़ खिलजी ने आपे से बाहर होकर फ़कीर को मरवा दिया।
95.आग लगाकर तमाशा देखना–(लड़ाई कराकर प्रसन्न होना)
हमारे मुहल्ले के संजीव का कार्य तो आग लगाकर तमाशा देखना है।
96.आगे का पैर पीछे पड़ना–(विपरीत गति या दशा में पड़ना)
सुरेश के दिन अभी अच्छे नहीं हैं, अब भी आगे का पैर पीछे पड़ रहा है।
97. आटे दाल की फ़िक्र होना–(जीविका की चिन्ता होना)
पढ़ाई समाप्त होते ही तुम्हें आटे दाल की फ़िक्र होने लगी है।
98. आधा तीतर आधा बटेर–(बेमेल चीजों का सम्मिश्रण)
सुधीर अपनी दुकान पर किताबों के साथ साज–शृंगार का सामान बेचना चाहता है। अनिल ने उसे समझाया आधा तीतर आधा बटेर बेचने से बिक्री कम रहेगी।
99.आग लगने पर कुआँ खोदना–(पहले से कोई उपाय न करना) शर्मा जी ने मकान की दीवारें खड़ी करा लीं, लेकिन जब लैन्टर डलने का समय आया, तो उधार लेने की बात करने लगे। इस पर मिस्त्री झल्लाया–शर्मा जी आप तो आग लगने पर कुआँ खोदने वाली बात कर रहे हो।
100आव देखा न ताव–(बिना सोचे–विचारे)
शिक्षक ने आव देखा न ताव और छात्र को पीटना शुरू कर दिया।
101. आँखों में खून उतरना–(अत्यधिक क्रोधित होना)
आतंकवादियों की हरकत देखकर पुलिस आयुक्त की आँखों में खून उतर आया था।
102.आग बबूला होना–(अत्यधिक क्रोधित होना)
कई बार मना करने पर भी जब दिनेश नहीं माना, तो उसके चाचा जी उस पर आग बबूला हो उठे।
103. आसमान से गिरकर खजूर के पेड़ पर अटकना–(उत्तम स्थान को त्यागकर ऐसे स्थान पर जाना जो अपेक्षाकृत अधिक कष्टप्रद हो) बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद किराना स्टोर करने पर दयाशंकर को ऐसा लगा कि वह आसमान से गिरकर खजूर के पेड़ पर अटक गया है।
104. आप मरे जग प्रलय–(मृत्यु उपरान्त मनुष्य का सब कुछ छूट जाना) रामदीन मृत्यु–शैय्या पर पड़ा अपने बेटों के कारोबार के बारे में रह–रह पूछं रहा था। उसके पास एकत्र मित्रों में से एक ने दूसरे से कहा, “आप मरे जग प्रलय, रामदीन को बेटों के कारोबार की चिन्ता अब भी सता रही है।”
105.आसमान टूटना–(विपत्ति आना)
भाई और भतीजे की हत्या का समाचार सुनकर, मुख्यमन्त्री जी पर आसमान टूट पड़ा।
106.आटे दाल का भाव मालूम होना–(वास्तविकता का पता चलना)
अभी माँ–बाप की कमाई पर मौज कर लो, खुद कमाओगे तो आटे दाल का भाव मालूम हो जाएगा।
107. आड़े हाथों लेना–(खरी–खोटी सुनाना)
वीरेन्द्र ने सुरेश को आड़े हाथों लिया।
108.इधर–उधर की हाँकना–(अप्रासंगिक बातें करना)
आजकल कुछ नवयुवक इधर–उधर की हाँकते रहते हैं।
109.इज्जत उतारना–(सम्मान को ठेस पहुँचाना)
दीनानाथ से बीच बाज़ार में जब श्यामलाल ने ऊँचे स्वर में कर्ज वसूली की बात की तो दीनानाथ ने श्यामलाल से कहा, “सरेआम इज्जत मत उतारो, आज शाम घर आकर अपने रुपए ले जाना।”
110.इतिश्री करना–(कर्त्तव्य पूरा करना/सुखद अन्त होना)
अपनी दोनों कन्याओं की शादी करके रामसिंह ने अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर ली।
111.इशारों पर नाचना–(गुलाम बनकर रह जाना)
बहुत से व्यक्ति अपनी पत्नी के इशारों पर नाचते हैं।
112.उँगली उठाना–(इशारा करना, आलोचना करना।)
सच्चे और ईमानदार व्यक्ति पर उँगली उठाना व्यर्थ है।
113.उँगली पर नचाना–(वश में रखना)
श्रीकृष्ण गोपियों को अपनी उँगली पर नचाते थे।।
114. उल्लू बोलना–(उजाड़ होना)
पुराने शानदार महलों के खण्डहरों में आज उल्लू बोलते हैं।
115. उल्टी गंगा बहाना–(नियम के विरुद्ध कार्य करना)
भारत कला और दस्तकारी का सामान निर्यात करता है, फिर भी कुछ लोग विदेशों से कला व दस्तकारी का सामान मँगवाकर उल्टी गंगा बहाते हैं।
116. उन्नीस बीस होना–(दो वस्तुओं में थोड़ा बहुत अन्तर होना)
दुकानदार ने बताया कि दोनों कपड़ों में उन्नीस बीस का अन्तर है।
117. उल्टी पट्टी पढ़ाना–(बहकाना)
तुम मैच खेल रहे थे और मुझे उल्टी पट्टी पढ़ा रहे हो कि स्कूल बन्द था और मैं स्कूल से दोस्त के घर चला गया था।
118. उड़न छू होना–(गायब हो जाना)
रीता अभी तो यहीं थी, मिनटों में कहाँ उड़न छू हो गई।
119. उबल पड़ना–(एकदम गुस्सा हो जाना)
सक्सेना साहब तो थोड़ी–सी बात पर ही उबल पड़ते हैं।
120. एक ही थैली के चट्टे–बट्टे होना–(सभी का एक जैसा होना)
आजकल के सभी नेता एक ही थैली के चट्टे–बट्टे हैं।
121. एक ढेले से दो शिकार–(एक कार्य से दो उद्देश्यों की पूर्ति करना)
पुलिस दल ने बदमाशों को मारकर एक ढेले से दो शिकार किए। उन्हें पदोन्नति मिली और पुरस्कार भी मिला।
122. एक की चार लगाना–(छोटी बातों को बढ़ाकर कहना)
रमेश तुम तो अब हर बात में एक की चार लगाते हो।
123. एक आँख से देखना–(सबको बराबर समझना)
राजा का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों को एक आँख से देखे।
124. एड़ी–चोटी का पसीना एक करना–(घोर परिश्रम करना)
रिक्शे वाले एड़ी–चोटी पसीना एक कर रोजी कमाते हैं।
125. एक–एक नस पहचानना–(सब कुछ समझना)
मालिक और नौकर एक–दूसरे की एक–एक नस पहचानते हैं।
126. एक घाट पानी पीना–(एकता और सहनशीलता होना)
राजा कृष्णदेवराय के समय शेर और बकरी एक घाट पानी पीते थे।
127. एक पंथ दो काज–(एक कार्य के साथ दूसरा कार्य भी पूरा करना) आगरा में मेरी परीक्षा है, इस बहाने ताजमहल भी देख लेंगे। चलो मेरे तो एक पंथ दो काज हो जाएंगे।
128. एक और एक ग्यारह होते हैं–(संघ में बड़ी शक्ति है)
भाइयों को आपस में लड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
129. ओखली में सिर देना–(जानबूझकर अपने को जोखिम में डालना) “अपने से चार गुना ताकतवर व्यक्ति से उलझने का मतलब है, ओखली में सिर देना, समझे प्यारे।” राजू ने रामू को समझाते हुए कहा।


Thursday

राष्ट्रभाषा के रुप में हिन्दी की दशा और दिशा

 राष्ट्रभाषा के रुप में हिन्दी की दशा और दिशा:-



भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। आज के समय भारत में यह लगभग करोड़ों लोगों की मातृभाषा है। इसके बावजूद इसे आज तक राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हो सका है। इसे भारत ही नहीं विदेशों में भी अब अपनाया जा रहा है। भारत से बाहर जाकर बसने वाले लोग अपनी मातृभाषा हिंदी में ही बातचीत करना पसंद करते है। आज हिंदी को भारत से बाहर लगभग 12 अन्य देशों के महाविद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है।



भारत के अधिकांश लोग तथा भारत के बाहर भारतवंशी लोग हिंदी का प्रयोग करते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बहुत से विदेशियों ने भी हिंदी सीखी और उसका उपयोग किया। इसका मुख्य कारण हम इसके अनोखेपन को कह सकते हैं। अपने अनोखेपन के कारण भारत दुनिया के लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। इसका ऐतिहासिक महत्त्व और व्यापारिक प्रसार ने विश्व को आकर्षित किया है।
हिंदी को आज हम वैश्विक भाषा का दर्जा देते हैं, यह अंग्रेजी, मंदारिन के बाद विश्व में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। आज भारत के प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में अपना भाषण जब देते हैं तो वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो जाती है,और हिंदी को विश्व भाषा बनाने की वकालत शुरू हो जाती है। पर वहीं हम इसका दूसरा पहलू भी हम देखते हैं। अपने ही देश में जब बात उच्च शिक्षा की आती है तो लोग हिंदी भाषा से दूरी बनाना शुरू कर देते है। खासकर उत्तर भारत के राज्यों में नव जवानों के अंदर यह धारणा उजागर होती है कि हिंदी ही तो है।
वहीं जब हम हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की करते है, तो अपने ही देश में हमें इसको लेकर विरोध का सामना करना पड़ता है।कुछ राज्यों का मानना है कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाकर हम पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है। ऐसे लोग कभी हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहते ।



हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एक अच्छा व उत्तम तरीका यह हो सकता है की अपने ही देश के अंदर हिंदी को लेकर जो विरोध है । पहले उसे खत्म किया जाए। इसके लिए इसका एक उत्तम तरीका यह हो सकता है कि हम सभी भारतीय अपने बच्चो से हिंदी में बात करें और उन्हें हिन्दी बोलने व पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। 

Monday

इंटरनेट एक दो धारी तलवार है। इस कथन की समीक्षा कीजिए......

 इंटरनेट सूचनाओं का आदान प्रदान करने का एक जरिया है।जो कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक आसानी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। इसका उपयोग ईमेल भेजने, वीडियो चैटिंग, बिल जमा कराने , विज्ञापन आदि के साथ-साथ सीधे अपने ग्राहकों तक पहुंचने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है आदि। वर्तमान में तो बच्चों की शिक्षा और उनके खेलने के लिए गेम्स भी इंटरनेट पर उपलब्ध है।




रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा:- इंटरनेट

सोशल मीडिया के जरिए हम दूर से बैठे लोगों के साथ बातचीत कर सकते है। इसलिए आज यह हमारे रोजमर्रा की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। इसके माध्यम से किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश आदि को आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। लॉकडाउन के दौरान लोगों तक आसानी से सूचनाओं का आदान- प्रदान, मनोरंजन करना तथा शिक्षण संस्थान बंद होने पर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने में भी इंटरनेट का अहम योगदान रहा है। आज यह लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है।




इंटरनेट के नकारात्मक पहलू:-

आज इंटरनेट के अनेकों नकरात्मक पहलू है। जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। आज के आधुनिक समय में तकनीक का इतना विकास हुआ है कि इससे लोगों को काफी नुकसान हो रहा है। लोग अपने हित के लिए लोगों के साथ धोखाधड़ी करने से बिलकुल भी नहीं चूकते। यही कारण है कि इंटरनेट पर ऑनलाइन ठगी की वारदातें काफी बढ़ गईं हैं। ठगों ने अब लोगों की फेसबुक आईडी हैक कर दोस्तों से पैसे मांगने शुरू कर दिए है तो कई ऐप ऐसे भी हैं। जिनपर आकर्षक सामान दिखा कर लोगों को खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। लगातार इंटरनेट का इस्तेमाल करने से लोग मेडिकल डिसऑर्डर का शिकार भी हो रहे हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने घर में ही लोगों में दूरी पैदा कर दी है। इसके कारण लोग तनाव के शिकार हो रहे है।


निष्कर्ष:-

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि इंटरनेट एक दो धारी तलवार है। जब हम इसका उपयोग अच्छे कार्यों के लिए करते है तो हम इंटरनेट से कई सकारात्मक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इसके नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं, जैसे:- समय की बर्बादी और अनुचित सामग्री के संपर्क में आना, खासकर युवा लोगों के लिए।

परीक्षा के एक दिन पूर्व दो मित्रों की बातचीत का संवाद लेखन कीजिए-

संवाद लेखन किसे कहते हैं  संवाद लेखन -  वह लेखनी है जिसमें दो या अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली बातचीत को लिखित रूप में व्यक्त किया जाता ह...