Tuesday

राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी

राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी

भाषा के विविध रूपों-सामान्य भाषा, बोली, विभाषा, भाषा, राष्ट्रभाषा, राजभाषा, साहित्यक भाषा, कृत्रिम भाषा, सम्पर्क भाषा आदि में से केवल राजभाषा राष्ट्रभाषा तथा सम्पर्क भाषा के बारे में विवेचन करना यहाँ अभीष्ट है। राजभाषा हिन्दी का राजभाषा अधीनियम के संदर्भ में विशेष उल्लेख अभिप्रेत है।


राष्ट्रभाषा और राजभाषा

देश की भाषा ही राजनीतिक, धार्मिक सांस्कृतिक आदि कारणों से समग्र राष्ट्र के सार्वजनिक प्रयोग में आ जाती है, उसमें देश की संस्कृति एवं उसमें बद्धमूल आदर्शों की अनिवति होती है तथा उसकी प्रकृति और उसके सम्पन्न साहित्य में यह सामर्थ्य होती है कि देश की अन्य भाषाओं को बिना उनकी प्रगति में बाधक हुए अपने साथ ले चल सके। हिन्दी जो राष्ट्रभाषा हुई है, और सांस्कृतिक कारणों से देशभर में प्रचलित हुई। धार्मिक जनों तथा साधु-सन्तों द्वारा भी सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम हिन्दी को ही प्राप्त हुआ था। अनेक विरोधों के होते हुए भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा का पद प्राप्त हुआ और अहिन्दी क्षेत्रों में भी लोकप्रिय होती जा रही है। हिन्दी की व्यापकता सम्पूर्ण देश के क्षेत्रों में है।

19वीं सदी का समय हिन्दी के सर्वतोमुखी विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। खड़ी बोली गद्य का निर्माण इसी काल से हुआ। राष्ट्रीय विकास में उस देश की राष्ट्रभाषा के अतिरिक्त वहाँ की राजभाषा का भी विशिष्ट महत्त्व है। दोनों में अन्तर यह है कि राष्ट्रभाषा का विकास स्वतः स्फूर्त और प्रवाहमान होता है, जबकि राजभाषा शासन तन्त्र की नीतियों के संयोजन का साधन । शासक और शासित के बीच फैले अन्तराल को समाप्त करने में राजभाषा सहायक होती है। पराधीन भारत में मुगलकाल में फारसी और अंग्रेजी में अंग्रेजी भारत की राजभाषा थी। उसे राष्ट्रभाषा का पद जनमानस के व्यवहार के बिना नहीं मिलता। स्वाधीन भारत के नए प्रजातांत्रिक शासनतन्त्र में प्रजोन्मुखी शासन नीति के लिए एक भाषा ऐसी भी सर्वमान्य होनी चाहिए जिसे शासक और शासित दोनों स्वीकार करें। संविधान निर्माताओं ने निर्णय लिया था कि राजभाषा नागरी में लिखी हिन्दी होगी तथा 15 वर्षों तक सह राजभाषा के रूप में अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहेगा। किन्तु अब तक भी वही सिथति बनाए रखने के लिए समय-समय पर राजभाषा अधीनियम बनाए जाते रहे और द्विभाषिक सिथति के रूप में अंग्रेजी सह-राजभाषा बनी रही। यहाँ राजभाषा के रूप में हिन्दी संवैधानिक स्थिति, राजभाषा अधीनियम, भाषा नीति विषयक संकल्प तथा राजभाषा नियम आदि का विवेचन प्रस्तुत किया जाता है।


राजभाषा के रूप में हिन्दी (संवैधानिक स्थिति)

भारत के संविधान के अनुच्छेद और 343 से 351 तक भारत संघ की राजभाषा के सम्बन्ध में अलग-अलग प्रावधान हैं। संसद में कार्य संचालन की भाषा संविधान में यह है कि “अनुच्छेद 348 के उपबन्धों के अधीन संसद की कार्यवाही हिन्दी अथवा अंग्रेजी में होगी। परन्तु राज्य सभा का सभापति या लोकसभा का अध्यक्ष इस रूप में कार्य करने वाला व्यकित किसी सदस्य को, जो हिन्दी या अंग्रेजी में अपने को पर्याप्त रूप से अभिव्यक्त नहीं कर सकता, सदन को अपनी मातृभाषा में सम्बोधित करने की अनुमति दे सकेगा ।

इसी अनुच्छेद के खण्ड (2) में यह व्यवस्था थी कि जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपलब्ध न करे तब तक संविधान के लागू होने के 15 वर्ष के पश्चात यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो कि “अथवा अंग्रेजी में शब्द उसमें से लुप्त कर दिए गए हैं। लेकिन 15 वर्ष पूरे होने से पहले ही राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3 के अधीन यह व्यवस्था की गई कि संविधान लागू होने के 15 वर्ष बाद अर्थात 26 जनवरी, 1965 के बाद भी संसद में हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखा जाएगा। इसी उपबन्ध के अधीन संसद में अंग्रेजी में दिए गए भाषणों का साथ-साथ हिन्दी में अनुवाद करने की व्यवस्था शुरु हुई। तमिल तेलगू, कन्नड़ और मलयालम में दिए गए भाषणों का भी सदन में हिन्दी और अंग्रेजी में साथ-साथ अनुवाद करने की व्यवस्था है। संविधान के अनुच्छेद 343 (3) के अनुसार अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखने के लिए संसद में राजभाषा अधीनियम, 1963 के बाद भी (क) संघ में उन सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए जिनके लिए इस तारीख से पहले अंग्रेजी का प्रयोग किया जा रहा था, और (ख) संसद में कार्य-निष्पादन के लिए हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखा जाए।

धारा 4 में व्यवस्था की गई कि उक्त धारा 3 के लागू होने के 10 वर्ष बाद लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्यों की एक राजभाषा समिति का गठन किया जाए। यह समिति सरकारी काम-काज में हिन्दी के प्रयोग की समीक्षा करेगी और अपनी सिफारिशों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगी। यह रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाएगी और सभी राज्य सरकारों को भिजवायी जाएगी। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट पर और राज्य सरकारों द्वारा व्यक्त की गई राय पर विचार करने के बाद उस रिपोर्ट के अनुसार निर्देश जारी कर सकते हैं। राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 1967 के अनुसार राजभाषा अधीनियम 1963 की धारा 3 के स्थान पर निम्नलिखित व्यवस्था की गई।

संविधान के लागू होने से 15 वर्ष की अवधी बीत जाने पर भी (क) संघ के उन सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए जिनके लिए 26 जनवरी, 1965 से पहले अंग्रेजी का प्रयोग किया जा रहा था, और (ख) संसद में कार्य-निष्पादन के लिए, हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखा जाएगा।

इस अधिनियम के उपबन्ध में यह भी व्यवस्था की गई कि जिन राज्यों ने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है उनके और संघ के बीच पत्र-व्यवहार के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होगा। जिस राज्य ने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में अपनाया है, उसके और किसी ऐसे राज्य के बीच जिसने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया यदि हिन्दी में पत्र-व्यवहार किया जाता है तो हिन्दी में लिखे गए पत्र के साथ उसका अंग्रेजी अनुवाद भी भेजा जाएगा। साथ ही, जिस राज्य ने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है, वह भी संघ के साथ हिन्दी में पत्र-व्यवहार कर सकता है और ऐसी स्थिति में उस राज्य के साथ किए जाने वाले पत्र-व्यवहार में अंग्रेजी का प्रयोग अनिवार्य नहीं होगा।

धारा (2) में व्यवस्था है कि केन्द्रीय सरकार के मंत्रालयों, विभागों कार्यालयों के बीच परस्पर पत्र-व्यवहार के लिए जब हिन्दी अथवा अंग्रेजी का प्रयोग किया जाये तो उसके साथ अंग्रेजी या हिन्दी अनुवाद, जैसी भी सिथति हो, भेजने की तब तक व्यवस्था की जानी चाहिए जब तक संबंधीत मंत्रालय विभाग कार्यालय के कर्मचारी हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त नहीं कर लेते। धारा 3 के अनुसार संघ के निम्नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग किया जाएगा : संकल्प, सामान्य आदेश, नियम, अधिसूचनाएँ, प्रशासनिक या अन्य रिपोर्टें और प्रेस विज्ञप्तियाँ, संसद के किसी एक या दोनों सदनों में रखी जाने वाली प्रशासनिक और अन्य रिपोर्टें और अन्य सरकारी कागजात, संविदा, करार, लाइसेंस, परमिट, नोटिस, निविदा, फार्म।

धारा 4 में व्यवस्था है कि राजभाषा के प्रयोग के संबंध में नियम बनाते समय केन्द्रीय सरकार द्वारा सरकारी काम-काज के शीघ्र और दक्षतापूर्वक निबटारे का और जन-साधारण के हितों का सम्यक ध्यान रखा जाएगा और इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि जो व्यकित हिन्दी अथवा अंग्रेजी किसी एक भाषा का ज्ञान रखते हों, वे प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।


भाषा नीति विषयक संकल्प

राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 1967 के साथ-साथ संसद के दोनों सदनों ने संघ की भाषा नीति के संबंध में एक संकल्प भी पारित किया जिसमें सरकार से कहा गया है- हिन्दी का प्रसार और विकास करने और संघ के विभिन्न सरकारी प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रगामी प्रयोग में तेजी लाने के लिए एक व्यापक और विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया जाए और उसे कार्यानिवत किया जाए। उपर्युक्त संदर्भ में किए गए उपायों और उनकी प्रगति का ब्यौरा देते हुए एक वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाए।

संघ लोक सेवा आयोग के विचार जानने के बाद अखिल भारतीय और उच्चतर केन्द्रीय सेवाओं की परीक्षाओं में संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित सभी भाषाओं और वैकल्पिक माध्यम के रूप में अंग्रेजी के प्रयोग की अनुमति दी जाए।


राज्यों आदि, केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से भिन्न के साथ पत्रादि

केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क क्षेत्र के राज्य को या ऐसे राज्य में (केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से भिन्न) किसी कार्यालय या व्यकित को पत्रादि, असाधारण दशाओं में के सिवाए, हिन्दी में होंगे तथा यदि कोई पत्रादि उनमें से किसी को अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ-साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा। 

केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से-

(क) ख क्षेत्र के राज्य को या ऐसे राज्य में (केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से भिन्न) किसी कार्यालय को पत्रादि सामान्यतया हिन्दी में होंगे और यदि कोई पत्रादि उसे अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा। परन्तु यदि कोई ऐसा राज्य यह कहता है कि किसी विशिष्ट वर्ग या वर्ग के पत्रादि या उसके कार्यालयों में से किसी के लिए आशयित पत्रादि, उसकी अवधी तक जो संबंधीत राज्य की सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए, अंग्रेजी में या हिन्दी में, दूसरी भाषा में अनुवाद सहित भेजे जाएं तो ऐसे पत्रादि उसी रीति से भेजे जायेंगे।

(ख) ख-क्षेत्र के राज्य में किसी व्यक्ति को पत्रादि उसी रीति से भेजे जायेंगे।


केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि-

(क) केन्द्रीय सरकार एक मंत्रालय या विभाग और दूसरे मंत्रालय या विभाग के बीच पत्रादि हिन्दी में या अंग्रेजी में हो सकते हैं।

(ख) केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या विभाग और क क्षेत्र में सिथत संलग्न या अधीनस्थ कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी में होंगे और ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार, ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त व्यक्तियों की संख्या, हिन्दी में पत्रादि भेजने के लिए सुविधाओं और उनके विषयों को ध्यान में रखते हुए, समय-समय पर अवधरित करें:


आवेदन, अभिवेदन, आदि

कर्मचारी कोई आवेदन, अपील या अभिवेदन हिन्दी में या अंग्रेजी में कर सकता उपनियम (1) में निर्दिष्ट कोई आवेदन, अपील या अभिवेदन जब भी हिन्दी में किया है। जाये या उसमें हिन्दी में हस्ताक्षर किए जायें तो उसका उत्तर हिन्दी में दिया जाएगा।

केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में टिप्पणों का लिखा जाना

कर्मचारी किसी फाइल पर टिप्पण या कार्य वृत हिन्दी में या अंग्रेजी में लिख सकता है और उससे यह अपेक्षा नहीं की जाएगी कि वह उसका अनुवाद दूसरी भाषा में भी प्रस्तुत करें।

उपनियम (1) में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, आदेश देना, ऐसा अधिसूचित कार्यालय विनिर्दिष्ट कर सकती है जहाँ टिप्पण, प्रारूपण और ऐसे अन्य शासकीय प्रयोजनों, के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट किए जायें, उन कर्मचारियों द्वारा जिन्हें हिन्दी प्रवीणता प्राप्त है, केवल हिन्दी का प्रयोग किया जाएगा।

मैन्युअल, संहिताएँ और अन्य प्रक्रिया संबंधी साहित्य, स्टेशनरी आदि

केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से संबंधित सभी मैन्युअल, हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में द्विभाषिक रूप में, यथासिथति, मुद्रित किया जाएगा, साइक्लोस्टाइल किया जाएगा और प्रकाशित किया जाएगा। केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग में लाए जाने वाले प्रारूपों और रजिस्टरों के शीर्षक हिन्दी और अंग्रेजी में होंगे। केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग के लिए लिखे गए, मुद्रित या उत्कीर्ण सभी नामपटट, सूचनापट्ट, पत्रशीर्ष और लिफाफों पर उत्कीर्ण लेख तथा स्टेशनरी की अन्य मदें हिन्दी और अंग्रेजी में होंगी:

अनुपालन का उत्तरदायित्व

केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व होगा कि वहः यह सुनिशिचत करें कि अधिनियम और इन नियमों के उपबन्धों का समुचित रूप से अनुपालन किया जाता है । 


सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी

‘सम्पर्क भाषा शब्द अंग्रेजी शब्द लिंग्वा फ्रेंस (Lingue France) के रूप में व्यवहत होता है जिसका अर्थ है ‘सामान्य बोली या ‘लोक बोली। हिन्दी अपने राष्ट्रीय स्वरूप में ही पूरे देश की सम्पर्क भाषा बनी हुई है। अपने सीमित रूप में, प्रशासनिक भाषा के रूप में, हिन्दी के व्यवहार में भिन्न भाषा-भाषियों के बीच परस्पर सम्प्रेषण का माध्यम बनी हुई है। भिन्न-भिन्न भाषा-भाषियों के मध्य परस्पर विचार-विनिमय का माध्यम बनने वाली भाषा को सम्पर्क भाषा कहा जाता है। यद्यपि अंग्रेजी भाषा भारत में सह-राजभाषा के रूप में स्वीकृत है तथापि विश्व के अनेक देशों में वह सम्पर्क भाषा बनी हुई है, जहाँ विभिन्न देशवासी परस्पर अपना सम्पर्क अंग्रेजी में साधते हैं। सम्पूर्ण भारतवर्ष में बोली और समझी जाने वाली राष्ट्रभाषा हिन्दी है, वह सरकार की राजभाषा भी है तथा सारे देश को एक सूत्र में पिरोने वाली सम्पर्क भाषा भी है। इस तरह अपने तीनों रूपों-राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सम्पर्क भाषा में हिन्दी भाषा अपना दायित्व सहजता से निभा रही है क्योंकि इन तीनों में अन्तःसम्बन्ध हैं। ‘राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण राष्ट्र में स्वीकृत भाषा होती है जबकि प्रशासनिक कार्यों के व्यवहारों में प्रयुक्त होने वाली ‘राजभाषा घोषित की जाती है तथा सम्पर्क भाषा का विकास प्राकृतिक और स्वैच्छिक आधार पर होता है जो सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। सम्पर्क भाषा ही सर्व-स्वीकृत होकर राष्ट्रभाषा बनती है। समृद्ध देशों में राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में एक ही भाषा का प्रयोग होता है, जैसे जापान, अमेरीका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, रूस आदि देश। इस दृष्टि से भारतवर्ष भी समृद्ध देश है जहाँ हिन्दी ही अपने तीनों रूपों में प्रयुक्त होती है। हिन्दी ही राष्ट्रभाषा भी है और राजभाषा भी तथा सम्पर्क भाषा भी। विश्व के अनेक देशों में हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो रहा है। हिन्दी की गुणवत्ता का अनुभव सभी शिक्षाविदों, विद्वानों, लेखकों और सहृदय सामाजिकों ने किया है।

Sunday

भाषा शिक्षणः हिन्दी पढ़ना सिखाने की प्रमुख चुनौतियां क्या हैं ?

       भाषा शिक्षण -: हिन्दी पढ़ना सिखाने की प्रमुख चुनौतियां क्या हैं ?


प्राथमिक स्तर पर हिंदी भाषा के शिक्षण में अनेक तरह की चुनौतियां एक शिक्षक के सामने काम करने के दौरान आती है। इस पोस्ट में हम उन चुनौतियों को समझने का प्रयास करेंगे। ताकि ऐसी स्थितियों से सामना होने पर हम उनका समाधान निकालने की दिशा में कुछ प्रयास कर पाएं।



भाषा कालांश के शुरूआत में बच्चों के निर्देश न समझ पाने वाली चुनौती एक शिक्षक के सामने होती है। इसका सबसे अहम कारण बच्चे के ‘घर की भाषा’ और ‘स्कूल की भाषा’ में अंतर होता है। समय के साथ शिक्षक बच्चों के साथ बातचीत करके इस स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास करते हैं ताकि भाषा कालांश में बच्चों की भागीदारी बढ़ाई जा सके।



हिंदी भाषा में अक्षरों की बनावट के साथ सहज होने में कुछ बच्चों को अपेक्षाकृत ज्यादा समय लगता है। इसलिए अगर कुछ बच्चे किसी अक्षर की मिरर इमेज बना रहे हैं तो इससे परेशान होने की बजाय बच्चों को अक्षर की बनावट के बारे में चरणबद्ध तरीके से बताना चाहिए ताकि वे अक्षरों की बनावट को समझ पाएं और उसे आसानी से लिख पाएं। ऐसा करते समय ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे अक्षरों की ध्वनि और बनावट के बीच में रिश्ते को समझ पाएं। यह जान सकें कि अमुक अक्षर के लिए अमुक ध्वनि का इस्तेमाल होता है।

भाषा कालांश में बहुत सारी गतिविधियां एक साथ हो रही होती हैं। जैसे बाल गीत, कविता, कहानी सुनाना, शब्द भण्डार व अक्षर पहचान इत्यादि पर काम। ऐसे में समय की कमी की चुनौती भी एक भाषा शिक्षक के सामने होती है। इसका समाधान करने के लिए शिक्षक साथियों को चाहिए कि वे क्लास में रूल सेटिंग करें ताकि बच्चे जब पढ़ना शुरू करें तो फिर क्लास में बहुत ज्यादा व्यवधान न हो।


सबसे आखिरी बात सारे बच्चों की भागीदारी हासिल करने की चुनौती भी प्रमुखता के साथ शिक्षकों के सामने होती है। सारे बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक साथियों को सारे बच्चों के बारे में व्यक्तिगत रूप से जानना चाहिए। इसके लिए नियमित अंतराल पर होने वाले आकलन से बच्चों को मदद मिल सकती है।

Thursday

मृदुल जोशी और उनकी कविता माँ मुझे आने दे !

                     मृदुल जोशी और उनकी कविता माँ मुझे आने दे !


लेखिका परिचय- मृदुल जोशी का जन्म सन् 1960 में उत्तराखंड में हुआ था । इनकी रचनाओं का विषय नारी चेतना है।इनकी मुख्य रचनाएं हैं –गुम हो गए अर्थ की तलाश में और समकालीन हिन्दी काव्य में आम आदमी आदि है । 

                            शब्दार्थ

1. आँगन – front door

2. सन्नाटा- silence

3. पसरा – prolong

4. सिलवट – घुमाना fold

5. झिल मिलाना – रह रह कर चमकना shine (twinkling)

6. किलक – किलकारी out cry , a sound of joy

7. ठुमक – ठसक भरी हुई चाल the act of walking in a grace manner

8. बिखरना – तितर बितर होना to be dispersed

9. उद्दंडता – अखड़पन arrogance

10. सदी – शताब्दी century


                    अर्थग्राहता – प्रतिक्रिया

(अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. ‘माँ मुझे आने दे’ कविता आपको कैसी लगी और क्यों ?

उत्तर-माँ मुझे आने दे!” कविता मुझे बहुत अच्छी लगी। क्योंकि इस कविता में एक अनदेखी बिटिया अपनी माँ को बताती है की जन्म लेने के बाद वह क्या -क्या करेगी ।


2. ‘भ्रूण हत्या एक सामाजिक अपराध है’। क्या भ्रूण हत्या का दहेज प्रथा से संबंध है ? विषय पर चर्चा कीजिए ।

उत्तर- स्त्री के गर्भ में बेटियों को मारना भ्रूण हत्या कहलाती है । यह भ्रूण हत्या समाजिक मानवीय अपराध है । बदलते विचार अनेक समाजिक विषमताओं के कारण आज समाज में भ्रूण हत्याएं अधिक दिखाई दे रही हैं । ऐसी हत्याएं सम्पन्न होने में दहेज प्रथा का भी प्रमुख स्थान है । बेटी के विवाह के समय वर को दी जाने वाली धन वस्तु दहेज कहलाती है ।


(आ) पाठ पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. इस कविता की कवयित्री क्या कहना चाहती हैं ?

उत्तर- इस कविता में कवयित्री भ्रूण हत्याओं को रोकना तथा समाज निर्माण में स्त्री का महत्व को बताना चाहती है ।


2. माँ के लिए बेटी क्या क्या करना चाहती है ?

उत्तर- माँ के लिए बेटी घर का सन्नाटा दूर करना तथा अपनी माँ ले कष्टों को दूर कर घर को रोशनी में चमकाना चाहती है ।


अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता  

(अ) माँ मुझे आने दे कविता समाज की किस स्थिति के बारे में बताती है ? लिखिए ।

उत्तर- माँ मुझे आने दे कविता में समाज में स्त्री के प्रति हो रहे अन्याय के बारे में बताया गया है ।


(आ) “भ्रूणहत्या एक समाजिक, मानवीय अपराध है”। अपने विचार लिखिए ।

उत्तर- “भ्रूणहत्या एक समाजिक, मानवीय अपराध है”। क्योंकि समाज में स्त्री और पुरुष का समान महत्व है ।ऐसे ममतामयी बेटी को आने न देना महापाप है जो माफी योग्य नहीं है ।


(इ) इस विषय पर किसी महिला का साक्षात्कार लेने के लिए एक प्रश्नावली तैयार कीजिए ।

उत्तर-1. क्या आप बेटी को चाहती है ?

   2. आप बेटी को क्यों नहीं चाहती  ?

   3. समाज निर्माण में क्या आप बेटी और बेटे को समान महत्व देती है ?

   4. क्या आप भ्रूण हत्याओं का समर्थन करती हैं ?

   5. आप भ्रूण हत्याओं को रोकने का क्या सुझाव देंगी ?

 

(ई) समाज के निर्माण में स्त्री और पुरुष दोनों का समान महत्व है । इस पर अपने विचार लिखिए ।

उत्तर- समाज में स्त्री और पुरुष का समान महत्त्व है । समाज में शक्ति के दो रूप हैं । दोनों में स्त्री की तुलना देवी से की गई है । ऐसा कहा जाता है कि जहां नारी होती है वहाँ देवता बसते है । नारी के बिना समाज की कल्पना असंभव है । समाज निर्माण व विकास में दोनों का समान महत्व है ।

 

                           भाषा की बात

(अ) कोष्ठक में दी गई सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए ।

1. खुशबू , समुंदर , दंभ (पर्यायवाची शब्द लिखिए।)

खुशबू- सुगंध, महक, सुरभि ।

समुंदर- समुद्र, सागर, रत्नाकर

दंभ- गर्व, घमंड, अहंकार, अकड़

 

2. सदी, मोती, किस्सा (वचन बदलिए।)

सदी – सदियाँ

मोती- मोती

किस्सा- किस्से

(आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

1. मोती-सीपी (विग्रह कर समास पहचानिए।)

मोती और सीपी द्वंद्व समास


 2. उद्दंडता, विशेषता, कोमलता, मधुरता (ता प्रत्यय का प्रयोग समझिए । तीन और शब्द बनाइए ।

उत्तर- मानवता , सरलता कोमलता ।


(इ) कविता से तीन भाववाचक संज्ञा शब्द ढूंढकर लिखिए ।

उत्तर- मानवता, उद्दंडता, कोमलता।


(ई) रुखीला, अकड़ीला जैसे शब्दों में “ईला” प्रत्यय है । इसी तरह के दो शब्द लिखिए ।

उत्तर- चटकीला, चमकीला ।

Tuesday

प्रेमचंद और उनकी कहानी ईदगाह

                                     प्रेमचंद और उनकी कहानी ईदगाह 

कवि परिचय

            प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 काशी में लमही नामक गाँव में हुआ था । इनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था । इन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियों की रचना की । इनकी कहानियाँ मानसरोवर नामक आठ खंडों में संकलित है । गोदान,गबन, निर्मल ,सेवसादन, कर्मभूमि, प्रतिज्ञा आदि इनके प्रमुख उपन्यास है ।इनकी प्रमुख कहानियों में कफन, पूस की रात और पंच परमेश्वर शामिल है । इनका निधन सन् 1936 में हुआ ।

Uploading: 203379 of 203379 bytes uploaded.

शब्दार्थ

1.रोजा – बिना कुछ खाए रहना fasting

2.ईदगाह – place of assembly for offering Eid -prayers

3. सुहावना -charming pleasant

4. रौनक – शोभा gaiety, splendour ,brightness

5. बिगुल -तुरही के ढंग का बाजा bugle

6. हैजा -एक तरह की बिमारी cholera

6. गोदी -आँचल lap

7. कचोट -चुभना to tease

8. छाले -फकोले blisters

9. ख्याल -विचार thought

10. अभागिन -बदनशीब  unfortunate

11. दाना -grain

12. भड़कीला -डरना showy

13. दिल बैठ जाना -चुप हो जाना the heart to be sinking

14. शान -इज्जत pomp, grandeur

15. चौंकना – to be startled , to be alarmed

 

अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया

(अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

1. ‘ईदगाह’ कहानी के रचनाकार कौन हैं ?इनकी रचनाओं की विशेषता क्या हैं?

उत्तर-‘ईदगाह’ कहानी के रचनाकार प्रेमचंद हैं । आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इनकी रचनाओं में खासकर भारत के ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण दिखायी पड़ता है। इनकी कला में कृत्रिमता नहीं है ।

2. बालक प्रायः अलग-अलग स्वभाव के होते हैं । कहानी के आधार पर बताइए की हामिद का स्वभाव कैसा है?

उत्तर- बालक प्राय: विभिन्न स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर हामिद का स्वभाव एक दम अच्छा और उत्तम था। अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचना और जो मिले, उसी में संतुष्ट रहने का महान स्वभाव वाला बालक हामिद था ।

(आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए ।

1. हामिद के पास पचास पैसे थे ।   (नहीं)

2. अमीना हामिद की मौसी थे ।    (नहीं)

3. मोहसिन भिश्ती खरीदता है ।     (हाँ)

4. हामिद खिलौने खरीदता है ।     (नहीं)

(इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।

1. अमीना का क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया ।

2. कीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया ।

3. हामिद चिमटा लाया ।

4. महमूद के पास बारह पैसे थे ।

अभिव्यक्ति -सृजनात्मकता

(अ) हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों ?

उत्तर- यदि हम हामिद के स्थान पर होते और मेले में जाते तो कोई ऐसी वस्तु खरीदते जो उपयोगी होती। हामिद ने चिमटा खरीदा था। हम भी ऐसी ही वस्तु खरीदते।

(आ) ‘ईदगाह’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर- कहानी “ईदगाह” कहानी का आरम्भ ईदगाह के मेले में जाने की तैयारी के साथ शुरू होता है। ईदगाह का मेला एक माह के रोजे के बाद आया है जिसमें जाने के लिए सभी तैयारी कर रहे हैं। उन सब में चार साल का हामिद भी है जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। कहानी के अनुसार हामिद के माता-पिता का हाल ही में देहांत हुआ है। दादी अमीना बहुत गरीब हैं, लेकिन वह हामिद को बड़े ही प्यार से पालती हैं। ईदगाह के मेले में हामिद भी जाना चाहता है, लेकिन दादी के पास पैसे नहीं हैं। लेकिन अंत में दादी हामिद को थोड़े ही पैसे देकर ईदगाह भेज देती हैं। ईदगाह में हामिद को बहुत रंग-बिरंगे खिलौने, मिठाइयाँ और नए कपड़े पसंद आते हैं लेकिन उसके पास खरीदने के लिए इतने पैसे नहीं हैं। फिर वह सोचता है कि वह अपनी दादी के लिए कुछ खरीदेगा। ऐसे में हामिद मेले से एक चिमटा खरीदता है और दादी को दे देता है। दादी चिमटा देखकर खुश हो जाती हैं और हामिद को गले लगा लेती हैं।

(इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुई बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए ।

उत्तर- हामिद और उसके दोस्त मोहसिन, महमूद और सम्मी सब मिलकर ईदगाह जाते हैं। वहाँ मेले में वे कुछ चीजें खरीदते हैं और आपस में इस प्रकार संवाद करने लगते हैं। (खिलौनों की दुकानों के पास)

मोहसिन : अरे! यह देखो। यह भिश्ती कितना सुंदर है ?

महमूद : मेरे ये सिपाही और नूरे वकील को देखो। ये कितने अच्छे हैं और खूबसूरत हैं?

सम्मी : हाँ! हाँ! मेरे इस धोबिन को देखिए। यह कैसा है ?

हामिद : (उन्हें ललचाई आँखों से देखते हुए) ये सब मिट्टी के तो हैं, गिरे तो चकनाचूर हो जायेंगे। (वहाँ से मिठाइयों की दुकानों के यहाँ जाते हैं।)

मोहसिन : (रेवडी खरीदता है) “अरे! हामिद यह रेवडी ले ले कितनी खुशबूदार है।” हामिद : “रखे रहो।, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं ?”

सम्मी : अरे, उसके पास तो तीन ही पैसे हैं, तीन पैसे से क्या – क्या लेगा? (लोहे की दुकान के पास हामिद चिमटा खरीदता है।)

सब दोस्तों ने एक साथ मज़ाक करते हुए : यह चिमटा क्यों लाया पगले! इसे क्या करेगा ?

(ई) बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए ।

उत्तर- हमें बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह की भावना रखनी चाहिए । बड़े लोगों को सांसारिक अनुभव हमसे ज्यादा होते है । अगर हमारे सामने कोई समस्या आ जाए तो हम उनसे उसका समाधान ले सकते हैं

 

भाषा की बात

(अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए ।

1. ईद, प्रभात, वृक्ष (पर्याय शब्द लिखिए )

ईद- त्योहार, पर्व, जश्न, जलसा ।

प्रभात- प्रातःकाल, सवेरा, उषा, प्रत्यूषा , निशांत ।

वृक्ष- पेड़, द्रुम, पादप, विटप, तरु ।

 

2. मिठाई, चिमटा, सड़क ( वचन बदलिए )  

मिठाई- मिठाइयां

चिमटा- चिमटे

सड़क- सड़कें

(आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए ।

1. बेसमझ, परलोक, निडर ( उपसर्ग पहचानिए )

बे+समझ = बेसमझ (बे)

पर+लोक= परलोक (पर)

नि+डर =निडर (नि)  

2. दुकानदार, गरीबी (प्रत्यय पहचानिए)

दुकान+दार = दुकानदार (दार)

गरीब+ई= गरीबी (ई)

 

 

Saturday

सुमित्रानंदन पंत और बरसते बादल कविता

                                        पाठ-1

                        बरसते बादल -सुमित्रानंदन पंत 

सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय

सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था । जन्म के कुछ घंटों के बाद ही इनकी माता के निधन हो जाने के बाद इनका पालन पोषण इनकी दादी ने किया । इनका निधन सन् 1977 में हुआ था । इनके साहित्य लेखन के लिए इन्हें साहित्य अकादमी, सोवियत रूस और ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया । इनकी प्रमुख रचनाएं हैं – वीणा , गुंजन , कला और बूढ़ा चाँद तथा चिदंबरा आदि । इन्हें चिदंबरा काव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।



 

शब्दार्थ

1. झम-झम    = भारी वर्षा होने की आवाज, the sound of heavy rainfall

2. मेघ = बादल clouds

3. बरसना = बारिश होना to rain

4. बूंदें = वर्षा के छोटे कण rain drops

5. तरु = वृक्ष tree

6. तम = अंधकार darkness

7. चातक = पपीहा a kind of bird

8. गण = दल a group

9. सोनबालक = जल में रहने वाला पक्षी  a kind of water birds

10. क्रंदन = आवाज करना making sounds

11. घुमड़ -घुमड़ = चारों ओर फैलना spreading all over

12. गर्जन – गरजना = thundering

13. रिमझिम- रिमझिम = छोटी बूंदें little drops

14. स्वर = आवाज sound

15. सिहर उठना = आश्चर्य चकित होना amazing

16. धाराएं = पानी का बहना flow of water

17. रजकण = धूलि कण  dust particles

18. तृण = तिनका a particle

19. घेरना = फैलना to surround

20. सावन = श्रावण मास name of a month

21.  मनभावन = मन को भाने वाला pleasing mind

 

अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया

(अ) घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।

उत्तर - वर्षा ऋतु के समय आकाश में घने बादल छा जाते हैं । वे आकाश भर में इधर-उधर फिरते हैं और वे एक दूसरे से टकराकर गरजते हैं और वर्षा देते हैं । कभी-कभी उनके उर में बिजली चमकती है ।

(आ)1.  हैं झम - झम बरसते झम- झम मेघ के सावन।  

उत्तर- झम- झम- झम- झम मेघ बरसते हैं सावन के ।

2. गगन में गर्जन घुमड़ – घुमड़ गिर भरते मेघ ।

उत्तर - घुमड़ – घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन ।

3. धरती पर झरती धाराएं पर धाराओं ।

उत्तर – धाराओं पर धाराएं झरती धरती पर ।

 

(इ) नीचे दिए गए भाव की पंक्तियाँ लिखिए ।

1. बादलों के घोर अंधकार के बीच बिजली चमक रही है और मन दिन में ही सपने देखने लगा है ।

उत्तर – चम-चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,

       थम थम दिन के तम में सपने जगते मन के ।

2. कवि चाहता है की जीवन में सावन बार-बार आए और सब मिलकर झूलों में झूलें ।

उत्तर – इंद्रधनुष के झूले में झूलें सब जन ,

       फिर-फिर आए जीवन में सावन मनभावन ।।

(ई) पदयांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

बंद किए हैं बादल ने अंबर के दरवाजे सारे ,

नहीं नजर आता है सूरज ना कहीं चाँद-सितारे ।

ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों ने भी पंख पसारे ,

हो प्रसन्न धरती के वासी , नभ की ओर निहारे ।।

1. किसने अम्बर के दरवाजे बंद कर दिए हैं ?

उत्तर – बादल ने अंबर के दरवाजे बंद कर दिए हैं ।

2. इस कविता का विषय क्या हैं ?

उत्तर –इस कविता का विषय वर्षा के समय का प्रकृति का वर्णन है।

 अभिव्यक्ति सृजनात्मकता

(अ) वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। कैसे ?

उत्तर - वर्षा सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है बिना वर्षा और पानी के किसी के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती । वर्षा से पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और मनुष्य सभी खुशी से झूम उठते हैं । वर्षा से किसान खेती करते है और इससे प्राप्त पानी से हमारी प्यास बुझती है । इस प्रकार वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है।

(आ) ‘बरसते बादल’ कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण है । उसे अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर- बरसते बादल” कविता में पंतजी ने वर्षा ऋतु का सुंदर और सजीव चित्रण किया । वह कहते हैं - सावन के मेघ झम – झम बरसते हैं। वर्षा की बूंदें पेडों से छनकर छम – छम आवाज़ करती धरती पर गिरती हैं। मेघों के हृदय में बिजली चम – चम चमकती है। दिन में भी वर्षा के कारण अंधेरा छा जाता है। लोगों के दिलों में सपने जगने लगते हैं।

वर्षा के बरसने पर दादुर टर – टर आवाज़ करते हैं। झींगुर झींझी आवाज़ देते हैं। मोर म्यव – म्यव करते नाचते हैं। पपीहे पीउ – पीउ करके कूकते हैं। सोनबालक पक्षी गीली – खुशी से आह्वान करते हैं। आसमान पर बादल घुमडते गरजते हैं।

रिमझिम बरसनेयाली बूंदों के स्वर हम से कुछ कहते हैं। अर्थात् मन खुश करते हैं। उनके छूते ही शरीर के रोम सिहर उठते हैं। धरती पर जल की धाराएँ झरती हैं। इससे मिट्टी के कण – कण में कोमल अंकुर फूट पडते हैं। अर्थात् मिट्टी का हर कण अतिप्रसन्न लगता है।

वर्षा की धाराओं के साथ कवि का मन झूलने लगता है। वे लोगों को आमंत्रित करते हैं कि आप सब आइए मुझे घेरकर सावन के गीत गाइए। हम सब लोग इंद्रधनुष के झूले में झूलने का आनंद लें। यह कामना करें कि मनभावन सावन हमारे जीवन में बार – बार आए ।

(इ) प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी-सी कविता लिखिए ।  

उत्तर – पेड़ लगाओ, हरियाली लाओ ,

       धरती माँ को स्वच्छ बनाओ।

       नदियाँ हँसे, जंगल लहराए,

       नीला आसमाँ मुस्कुराए ।

(ई) ‘फिर – फिर आए जीवन में सावन मनभावन’ ऐसा क्यों कहा गया होगा ? स्पष्ट कीजिए ।     

उत्तर -वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है। यह ऋतुओं की रानी कहलाती है। सावन के आने से प्रकृति रमणीय होती है। प्रकृति का कण – कण अति प्रसन्न दिखता है। पशु – पक्षी, पेड – पौधे मानव यहाँ तक कि धरती के सभी प्राणी, धरती तक खुशी से नाच उठते हैं। इसीलिए पंतजी ने मनभावन सावन को बार – बार आने के लिए कहा होगा ।

भाषा की बात

(अ) तरु, गगन, घन पर्याय शब्द लिखिए ।

1. तरु- पेड़, वृक्ष, पादप, वट, विटप आदि।

2. गगन- आसमान, फलक, अंबर, अंतरिक्ष, आकाश, व्योम, नभ अनंत, अधर आदि ।

3. घन - मेघ, बादल, घटा, अंबुद, अंबुधर, नीरद, बारिधर, तोयड, बलाहक आदि ।

 

(आ) मेघ, तरु वाक्य प्रयोग कीजिए ।

1. मेघ- मेघ बरसते हैं ।

2. तरु – तरु फल देते हैं ।

(इ) इन्हें समझिए और सूचना के अनुसार कीजिए ।

1. बादल बरसते हैं ।( रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए।)   

उत्तर- बादल = संज्ञा, जातिवाचक, पुलिंग शब्द है।

2. पेड़-पौधे, पशु-पक्षी ( समास पहचानिए)

पेड़-पौधे = पेड़ और पौधे ( द्वंद्व समास )

पशु-पक्षी = पशु और पक्षी ( द्वंद्व समास )

 

(ई) शब्द संक्षेप में लिखिए ।

1. मन को भाने वाला = मनभावन

2.मन को मोहने वाला = मनमोहन  

 

राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी

राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी भाषा के विविध रूपों-सामान्य भाषा, बोली, विभाषा, भाषा, राष्ट्रभाषा, राजभाषा, साहित्यक ...