पाठ-1
बरसते बादल -सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय
सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था । जन्म के कुछ घंटों के बाद ही इनकी माता के निधन हो जाने के बाद इनका पालन पोषण इनकी दादी ने किया । इनका निधन सन् 1977 में हुआ था । इनके साहित्य लेखन के लिए इन्हें साहित्य अकादमी, सोवियत रूस और ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया । इनकी प्रमुख रचनाएं हैं – वीणा , गुंजन , कला और बूढ़ा चाँद तथा चिदंबरा आदि । इन्हें चिदंबरा काव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
शब्दार्थ
1. झम-झम = भारी वर्षा होने की आवाज,
the sound of heavy rainfall
2. मेघ = बादल clouds
3. बरसना = बारिश होना to rain
4. बूंदें = वर्षा के छोटे कण rain drops
5. तरु = वृक्ष tree
6. तम = अंधकार darkness
7. चातक = पपीहा a kind of bird
8. गण = दल a group
9. सोनबालक = जल में रहने वाला पक्षी a kind of water
birds
10. क्रंदन = आवाज करना making sounds
11. घुमड़ -घुमड़ = चारों ओर फैलना spreading all over
12. गर्जन – गरजना = thundering
13. रिमझिम- रिमझिम = छोटी बूंदें little drops
14. स्वर = आवाज sound
15. सिहर उठना = आश्चर्य चकित होना amazing
16. धाराएं = पानी का बहना flow of water
17. रजकण = धूलि कण
dust particles
18. तृण = तिनका a particle
19. घेरना = फैलना to surround
20. सावन = श्रावण मास name of a month
21. मनभावन =
मन को भाने वाला pleasing mind
अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया
(अ) घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तर - वर्षा ऋतु के समय आकाश में घने बादल छा जाते
हैं । वे आकाश भर में इधर-उधर फिरते हैं और वे एक दूसरे से टकराकर गरजते हैं और वर्षा
देते हैं । कभी-कभी उनके उर में बिजली चमकती है ।
(आ)1. हैं झम
- झम बरसते झम- झम मेघ के सावन।
उत्तर- झम- झम- झम- झम मेघ बरसते हैं सावन के ।
2. गगन में गर्जन घुमड़ – घुमड़ गिर भरते मेघ ।
उत्तर - घुमड़ – घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन ।
3. धरती पर झरती धाराएं पर धाराओं ।
उत्तर – धाराओं पर धाराएं झरती धरती पर ।
(इ) नीचे दिए गए भाव की पंक्तियाँ लिखिए ।
1. बादलों के घोर अंधकार के बीच बिजली चमक रही है और
मन दिन में ही सपने देखने लगा है ।
उत्तर – चम-चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,
थम थम
दिन के तम में सपने जगते मन के ।
2. कवि चाहता है की जीवन में सावन बार-बार आए और सब
मिलकर झूलों में झूलें ।
उत्तर – इंद्रधनुष के झूले में झूलें सब जन ,
फिर-फिर
आए जीवन में सावन मनभावन ।।
(ई) पदयांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
बंद किए हैं बादल ने अंबर के दरवाजे सारे ,
नहीं नजर आता है सूरज ना कहीं चाँद-सितारे ।
ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों ने भी पंख पसारे ,
हो प्रसन्न धरती के वासी , नभ की ओर निहारे ।।
1. किसने अम्बर के दरवाजे बंद कर दिए हैं ?
उत्तर – बादल ने अंबर के दरवाजे बंद कर दिए हैं ।
2. इस कविता का विषय क्या हैं ?
उत्तर –इस कविता का विषय वर्षा के समय का प्रकृति का
वर्णन है।
(अ) वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है।
कैसे ?
उत्तर - वर्षा सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है बिना वर्षा
और पानी के किसी के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती । वर्षा से पशु-पक्षी,
पेड़-पौधे और मनुष्य सभी खुशी से झूम उठते हैं । वर्षा से किसान खेती करते है और इससे
प्राप्त पानी से हमारी प्यास बुझती है । इस प्रकार वर्षा सभी प्राणियों के लिए
जीवन का आधार है।
(आ) ‘बरसते बादल’ कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण
है । उसे अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर- “बरसते बादल” कविता में पंतजी ने
वर्षा ऋतु का सुंदर और सजीव चित्रण किया । वह कहते हैं - सावन के मेघ झम – झम
बरसते हैं। वर्षा की बूंदें पेडों से छनकर छम – छम आवाज़ करती धरती पर गिरती हैं।
मेघों के हृदय में बिजली चम – चम चमकती है। दिन में भी वर्षा के कारण अंधेरा छा
जाता है। लोगों के दिलों में सपने जगने लगते हैं।
वर्षा के बरसने पर दादुर टर – टर आवाज़ करते हैं।
झींगुर झींझी आवाज़ देते हैं। मोर म्यव – म्यव करते नाचते हैं। पपीहे पीउ – पीउ
करके कूकते हैं। सोनबालक पक्षी गीली – खुशी से आह्वान करते हैं। आसमान पर बादल
घुमडते गरजते हैं।
रिमझिम बरसनेयाली बूंदों के स्वर हम से कुछ कहते हैं।
अर्थात् मन खुश करते हैं। उनके छूते ही शरीर के रोम सिहर उठते हैं। धरती पर जल की
धाराएँ झरती हैं। इससे मिट्टी के कण – कण में कोमल अंकुर फूट पडते हैं। अर्थात्
मिट्टी का हर कण अतिप्रसन्न लगता है।
वर्षा की धाराओं के साथ कवि का मन झूलने लगता है। वे
लोगों को आमंत्रित करते हैं कि आप सब आइए मुझे घेरकर सावन के गीत गाइए। हम सब लोग
इंद्रधनुष के झूले में झूलने का आनंद लें। यह कामना करें कि मनभावन सावन हमारे
जीवन में बार – बार आए ।
(इ) प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी-सी कविता लिखिए ।
उत्तर – पेड़ लगाओ, हरियाली लाओ ,
धरती
माँ को स्वच्छ बनाओ।
नदियाँ
हँसे, जंगल लहराए,
नीला
आसमाँ मुस्कुराए ।
(ई) ‘फिर – फिर आए जीवन में सावन मनभावन’ ऐसा क्यों
कहा गया होगा ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर -वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है। यह ऋतुओं की
रानी कहलाती है। सावन के आने से प्रकृति रमणीय होती है। प्रकृति का कण – कण अति
प्रसन्न दिखता है। पशु – पक्षी, पेड – पौधे मानव यहाँ तक कि धरती
के सभी प्राणी, धरती तक खुशी से नाच उठते हैं। इसीलिए पंतजी ने
मनभावन सावन को बार – बार आने के लिए कहा होगा ।
भाषा की बात
(अ) तरु, गगन, घन पर्याय शब्द लिखिए ।
1. तरु- पेड़, वृक्ष, पादप, वट, विटप आदि।
2. गगन- आसमान, फलक, अंबर, अंतरिक्ष, आकाश, व्योम, नभ अनंत, अधर आदि ।
3. घन - मेघ, बादल, घटा, अंबुद,
अंबुधर, नीरद, बारिधर, तोयड, बलाहक आदि ।
(आ) मेघ, तरु वाक्य प्रयोग कीजिए ।
1. मेघ- मेघ बरसते हैं ।
2. तरु – तरु फल देते हैं ।
(इ) इन्हें समझिए और सूचना के अनुसार कीजिए ।
1. बादल बरसते हैं ।( रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए।)
उत्तर- बादल = संज्ञा, जातिवाचक,
पुलिंग शब्द है।
2. पेड़-पौधे, पशु-पक्षी ( समास पहचानिए)
पेड़-पौधे = पेड़ और पौधे ( द्वंद्व समास )
पशु-पक्षी = पशु और पक्षी ( द्वंद्व समास )
(ई) शब्द संक्षेप में लिखिए ।
1. मन को भाने वाला = मनभावन
2.मन को मोहने वाला = मनमोहन